Wednesday, August 8, 2018

जंगली खेती धान -गेंहू -मूंग चक्र

जंगली खेती 

धान -गेंहू -मूंग चक्र

जुताई नहीं ,खाद नहीं ,जहर नहीं , जल भराव नहीं ,रोपा नहीं  

विश्व प्रसिद्ध जापान के कृषि वैज्ञानिक मसानोबू फुकुओका की विधि का टाइटस नेचरल फार्म होशंगाबाद में भारतीयकरण। 31 साल का अनुभव। 

धुनिक वैज्ञानिक खेती में आज कल यह चक्र बहुत प्रचलित है किन्तु इसमें जुताई ,खाद ,जहरों ,रोपाई ,निंदाई ने किसानो की कमर तोड़ दी है। इस से खेत मरुस्थल और आहार जहरीला हो रहा है। इसे आसानी से जंगली खेती में बदला जा सकता है जिसमे जुताई ,खाद ,जहर ,रोपाई ,निंदाई की जरूरत नहीं है सिंचाई भी धीरे धीरे बंद हो जाती है।

धान को हार्वेस्टर से काटने के बाद सीधे गेंहूं के बीज बिखरा दिए जाते हैं साथ में 2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से रिजका (अल्फ़ा अल्फ़ा ) के बीज भी बिखरा दिए जाते हैं। ऊपर से धान का पुआल आड़ा  तिरछा फैला दिया जाता है। सिंचाई कर दी जाती है।
धान के पुआल में से गेंहू निकल रहा है। 
गेंहू की फसल में धान की बीज गोलियां
डाली जा रही हैं। 


गेंहू की नरवाई में से निकलती मुंग की फसल 
गेंहू उग कर ऊपर आ जाता है रिजका भी उग जाता है रिजका एक तो नत्रजन देने का काम करता है साथ में यह घासों को रोक देता है नमि को भी संरक्षित करता है। उत्पादन भी सामान्य मिलता है।
 जब गेंहू में बालें निकल आती हैं उसमे धान के बीजों की बीज गोलियां बना कर डाल  दिया जाता है जो वहां सुप्त अवस्था में सुरक्षित पड़ी रहती हैं। इसी समय यहां मुंग के बीजों को भी सीधा बिखरा दिया जाता है। गेंहू को हार्वेस्टर से काटने के बाद नरवाई को पेठा चला कर वहीं सुला दिया जाता है। इसके बाद सिंचाई कर दी जाती है। जिस से मुंग उग  आती है रिजका वहां घासों को रोकने के लिए हाजिर रहता है।
रिजका के साथ धान की फसल 

धान की खड़ी फसल में गेंहू बोया जा रहा है 

जब मुंग की हार्वेस्टिंग हो जाती है उस समय धान भी उग आती है साथ में रिजका वहां घास रोकने और  धान के लिए नत्रजन देने के लिए हाजिर रहता है। मुंग के टाटरे  को भी उगती धान के ऊपर  फेंक दिया जाता है। जब धान में बाली  निकल आती हैं तब उसमे गेंहू और रिजका के बीज भी पुन : डाल  दिए जाते हैं। यह चक्र साल दर साल चलता रहता है। इसमें बीच बीच में पेड़/सब्जियां  भी लगा  सकते हैं।

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