Tuesday, July 10, 2018

अफ्रीका के दस हजार एकड़ में होगी जंगली खेती

आयातित वैज्ञानिक खेती ने भारत को ही नही पूरी दुनिया को मरुस्थल बनाया है। 

फुकुओका जंगली खेती वाट्स एप ग्रुप के अरविन्द भाई अब अफ्रीका में उनके दस हजार एकड़ को सुधारने जा रहे हैं। 
बहुत बधाई और शुभ कामना 

रविन्द जी गुजरात के रहने वाले हैं अफ्रीका में गन्ना और शुगर मिल के मालिक हैं। उनके पास अफ्रीका में दस हजार एकड़ के खेत हैं।  फुकुओका जंगली खेती के जागरूक मित्र हैं। बहुत दिनों से वे खेती विषय में जानकारी इकठा कर रहे थे वो भारत से खेती की सभी विधियों  पर निगाह रखे थे।  बता रहे थे की सभी विधियों में उन्हें जंगली खेती आसान और टिकाऊ लगी है। उन्हें पूरा भरोसा है की यदि भारत में बिना जुताई की खेती होने लगे तो किसानो की और हमारे पर्यावरण की समस्या का अंत हो सकता है।


१९९९ में फुकुओका जी जापान से  सेवाग्राम में पधारे थे बता रहे थे की अनेक विदेशियों ने अफ्रीका में जंगलों को काट कर बेच दिया  था और वैज्ञानिक खेती की थी जिस से बहुत बड़ा इलाका मरुस्थल में तब्दील हो गया है वहां अनेक लोग वर्षों से खेती और ग्रामविकास की योजना चला रहे हैं किन्तु कोई लाभ नही मिल रहा है। इसलिए वे भी बहुत दूर के इलाके में चले गए  जहाँ  पहले कोई नही पहुंचा था।  वहां बारिश नही हो रही थी लोगों और पशुओं को खाने को नही था वहां उन्होंने किसानो को सीड बाल बनाना सिखाया वहां दीमक की मिटटी मिलती थी उस से बड़े मजबूत सीड बाल बनते थे। बच्चे बच्चे सीड बाल  बनाकर गुलेल से सीड बाल फेंकना सीख गए थे.

जब पांच  साल बाद फुकुओका जी वहां गए तो देख कर अचंभित हो गए। मरुस्थल हरियाली में बदल गया था। बारिश होने लगी थी भुखमरी सब ख़तम हो गई थी।  और सभी लोग  सीड बनाकर फेंक कर पर जंगली  कर रहे थे।  सभी के जीवन खुश हाली से भर गए थे। हमसे कह रहे थे की आज अमेरिका ,जापान जैसे देश भले आपने को विकसित बताते हैं किन्तु वे हमसे भी गरीब हैं क्योंकि उनके पास जंगल नही है।

हम जंगली खेती ग्रुप की ओर से उन्हें शुभकामना देते हैं  और बधाई देते हैं।