Monday, November 16, 2015

वंशानुगत बीजों(GM ) का विरोध घड़ियाली आंसू है !

वंशानुगत बीजों(GM ) का विरोध 

घड़ियाली आंसू है !

पिछले अनेक वर्षों से जब से रासायनिक खेती सवालों के घेरे में आई है तबसे "जैविक " खेती की बात की जा रही है।
जब हमने १९९९ में गांधी आश्रम में  फुकूओकाजी से इस बारे में पुछा तो उन्होंने बताया कि "जैविक " खेती और रासायनिक खेती एक सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने अपने इस तर्क को विस्तार से समझते हुए बताया की जैसे जब अनेक लोग गरीब बनते हैं तब एक राजा बन जाता है।  इसी प्रकार बहुत बड़े छेत्र से इकठे किए जाने वाले जैविक खाद को जब एक छोटे जमीन के टुकड़े पर डाला जाता है उसे जैविक खेती कहा जाता है। इस से बहुत अधिक जमीन खराब होती है और थोड़ी सी जमीन पर खेती होती है। यह शोषण की प्रक्रिया है। बिना जुताई की कुदरती खेती या बिना जुताई की जैविक खेती में ऐसा  नहीं होता है पूरी  जमीन एक साथ  समृद्ध होती है।
इसलिए हम जुताई आधारित किसी भी  खेती को जैविक या कुदरती खेती नहीं मानते है। 
कल हमारे यहां जिले के खेती के बड़े अधिकारीजी पधारे थे हमने  उनसे पुछा की अपने जिले में "जैविक खेती " का क्या ?  हाल है तो उन्होंने बताया जितना हल्ला हो रहा है उसके मुकाबले नहीं के बराबर प्रगति है। उसका मूल   कारण उत्पादन और लागत  में बहुत फर्क है।
एक और जहाँ जैविक लाबी रासायनिक खेती को नहीं रोक  पा रही है वह अब GM के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। GM भी बहुत हानिकारक हैं।  किन्तु सवाल यह उठता है की हम जैविक में पीछे क्यों हैं ? क्यों हम GM को नहीं रोक पा रहे हैं उसका  सीधा सच्चा जवाब है।  जैविक वाले जुताई को हानिकारक नहीं मानते है।  जबकि जमीन की जुताई कृषि रसायनो और GM के मुकाबले १००% नुक्सान दायक है।
जमीन की जुताई ? जब तक नहीं रुकेगी तब तक कोई भी कृषि रसायनो  और GM को नहीं रोक सकता है।
सारा विरोध घड़ियाली आंसू हैं। 

3 comments:

RAJENDRA SINGH RATLAM WALA said...

ज्ञानवर्धक लेख, शुभकामनाये, राजेंद्र सिंह, अजमेर , राजस्थान

Unknown said...

एक नई दिशाओ की तरफ आपने मोड़ा है, सही राह , सही दिशा

Richmond Mac Repair said...

This iis a great post thanks