Thursday, November 26, 2015

नेचरल जैविक खेती


नेचरल जैविक खेती 
ऋषि खेती 
जकल जब से रासयनिक खेती के नुकसान नजर आने लगा हैं जैविक खेती की बात की जाने लगी है।  अधिकतर लोग यह समझते हैं कि रासयनिक उर्वरकों की जगह जैविक खाद डालने से खेती जैविक हो जाती है। असली जैविक खेती का मतलब है खेतों की जैव-विविधताओं को बचा कर जीवित खेती करना है। इसलिए कोई भी कृषि कार्य ऐसा नहीं होना चाहिए  जिस से जमीन की जैव-विवधताओं की हिंसा होती है।  
इस वीडियो में दिखाया गया है की जुताई वाली अजैविक मिटटी  और बिना जुताई वाली जैविक मिटटी में क्या अंतर है। 
जैसे जमीन की जुताई ,जहरीले रसायनो का उपयोग आदि।  अधिकतर लोग यह समझते हैं की जमीन की जुताई करने से कोई नुक्सान नहीं होता है यह गलत है सबसे अधिक जैव-विविधताओं की हिंसा जमीन की जुताई से होती है। ,

परमपरागत  जुताई आधारित जैविक खेती में जुताई के रहते बहुत अधिक जैव- विविधताओं की हिंसा होती है। जापान के कुदरती कृषि के वैज्ञानिक और कुदरती खेती के किसान स्व.मस्नोबू फुकूओकाजी का कहना है की एक बार की जुताई से जमीन की आधी जैविक खाद बह जाती है। इस प्रकार अनेक वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान में यह पाया है की  जुताई करने से करीब १५ टन जैविक खाद बह जाती है। इस खाद को सूक्ष्म दर्शी यंत्र से देखने पर इसमें असंख्य सूक्ष्म जीवाणुओ के अलावा कुछ अजैविक नहीं होता है। यह जैविकता यदि बचा ली जाये तो खेत में खाद की कोई जरूरत  नहीं रहती है।

अनेक कृषि वैज्ञानिक यह कहते हैं फसलें पोषक तत्व खाती हैं इसलिए खाद ,उर्वरक आदि की जरूरत रहती है यह भ्रम है असल खेत में खाद और उर्वरकों की मांग जुताई के कारण जैविक खाद के बह जाने के कारण है।
हम पिछले ३० सालो से बिना जुताई की कुदरती खेती कर रहे हैं जिसे ऋषि खेती के नाम से जाना जाता है इसमें जुताई नहीं करने के कारण विगत ३० सालो  में हमे फसलोत्पादन में किसी भी प्रकार की खाद की जरूरत नहीं हुई है।  खेत में जब पर्याप्त जैविकता रहती है तो फसलों में बीमारियां भी नहीं लगती हैं।  उत्पादन भी सामान्य मिलता है।

हमारा कहना है जुताई एक हिंसात्मक उपाय है इसके रहते खेतों की जैविकता को बचा पाना असम्भव है इसलिए बिना जुताई की जैविक खेती अपनाये।  अनेक किसान आजकल बिना जुताई की खेती करने लगे हैं किन्तु वे जहरीले नींदा नाशक और कीड़ामार जहरों का उपयोग करते हैं जो उचित नहीं है।