Monday, August 10, 2015

ऋषि खेती और नदियों का जिए अभियान

"ऋषि खेती" नदियों को पुनर्जीवित करने का अभियान

मारे देश में हजारों सालो से नदियों को पवित्र  मान कर पूजा हो रही है असंख्य लोग हरवर्ष नदियों में   स्नान कर उनकी पूजा करते हैं और जल को अपने घरों में रखते हैं  उनका विश्वाश है इस से एक और जहाँ हमे भगवान मिलते हैं वहीं हमारा स्वास्थ भी ठीक रहता है।

किन्तु अब इस विश्वाश को ठेस लगने लगी है इसका कारण  यह है कि हमारी पवित्र नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़  गया है वो मरने लगी हैं। सबसे खराब हालत यमुनाजी की दिल्ली में है वहां ऐसा प्रतीत होता है की नदी है ही नहीं। वह  एक गंदे नाले  में परिवर्तित हो गयी है।
पवित्र नदियां अब मरने लगी हैं। 

असल में हम यह सोचते हैं की बरसात आसमान से आती है किन्तु यह सोच गलत है बरसात हरियाली की देन है हरियाली रहेगी तो बरसात होगी अन्यथा नहीं होगी , किन्तु जबसे औधोगिक खेती का चलन शुरू हुआ है तबसे बहुत तेजी से हरियाली नस्ट हुई है और हो रही है।   इस कारण  मौसम बदल गया है बरसात अनियंत्रित हो गयी है दूसरा कारण यह है की खेती में की जारही जमीन की जुताई के कारण बरसात का पानी जमीन में नहीं जाता है वह तेजी से बहता है अपने साथ खेत की खाद मिट्टी को भी बहा  कर लेजाता है जिसका सीधा असर  हरियाली पर पड़  रहा है और बरसात का पानी जमीन में ना जाकर तेजी से बह जाता है जिस से नदियों को पानी मिलना बंद हो जाता है।
नदियों के मरने का मूल कारण मशीनी जुताई है। 

हम पिछले तीन  दशकों से बिना जुताई की कुदरती खेती कर रहे हैं जिसे हम ऋषि खेती कहते हैं ।  हमारे खेत हरियाली से भर गए हैं। बरसात का पूरा जल जमीन में समां जाता है। जो साल भर भूमिगत झरनो से नदी ,नालो और कुओं को मिलता रहता है।

अपने ऋषि खेती के दीर्घकालीन  अनुभवों के आधार पर हमारा मानना है की यदि हमे अपनी पवित्र नदियों को पुनर्जीवित करना है तो हमे हर हाल में बिना जुताई की खेती को करना होगा। यह सबसे उत्तम जलप्रबंधन की योजना है जिसमे लगत शून्य है।
टाइटस ऋषि खेती फार्म में "यमुना जिए अभियान" दिल्ली  की कार्यशाला

हरियाली से हमे केवल पानी ही नहीं मिलता है वह हमे सांस लेने लायक शुद्ध हवा भी प्रदान करती है।यह दूषित  हवा को सोख कर जैविक खाद बनाती है जिस से हमे जहरीले रसायनो से पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है।
हमे कुदरती शुद्ध खाना मिलता है जिस से हम तेजी से पनप रही कैंसर जैसी बीमारियों पर विजय पा सकते हैं।

हमारे पर्यावरण की रक्षा करने की जिम्मवारी हम सरकार पर छोड़ कर सो नहीं सकते हैं इसमें हम सबको मिल कर काम करने की जरूरत है।  नदियों की पूजा का यही मतलब है। 

5 comments:

Bhim said...

Its true that practicing Natural Farming (No Till) can immensely benefit human and rivers health. Congratulation to Raju Titus ji for writing the informative blog.

Unknown said...

Bheemji thanks.

prafulln72 said...

That's right but we should developed awareness in the people and communities about the water pollution.

Shivaraj said...

Can we create an NGO to spread awareness using these practical information...

Shivaraj said...

Can we create an NGO to spread awareness using these practical information...