जन्तर (ढ़ेंचे ) का उपयोग करके रासायनिक खेत को
जंगली खेत में बदलें
हमारे खेतों को वैज्ञानिकों की अज्ञानता के कारण हरित क्रांति बनाम मरुस्थलीकरण कर बर्बाद कर दिया है। खेत रेगिस्थान में बदल गए हैं ,भूमिगत जल १००० फीट पर भी नही मिल रहा है रासायनिक जहरों के कारण हर तीसरे आदमी को केंसर का खतरा बन गया है। हर रोज किसान आत्महत्या कर रहे हैं। हर किसान गले तक कर्ज में फंसा है।
किन्तु अब घबराने की जरूरत नही है जन्तर जिसे ढेंचा कहा जाता है बिना जुताई की जंगली खेती (फुकुओका विधि ) के माध्यम से एक साल में ठीक करने का वायदा कर रहा है। जन्तर सामान्यतय हरी खाद के नाम से जाना जाता है। इसे जब हम बरसात के मोसम में खेतों में बिना जुताई करे छिड़क देते हैं यह तेजी से उग कर पूरे खेत को धक् लेता है जो जुताई के कारण पैदा होने वाली कठोर घासों को भी मार देता है ,खेत को अपनी गहरी जड़ों के मध्यम से भीतर तक जुताई कर देता है जो काम मशीन नही कर सकती है. दूसरा यह अपनी जड़ों के माध्यम से कुदरती यूरिया का संचार कर देता है जो गेंहूँ और धान के लिए जरुरी है।
बरसात में मात्र कुछ दिनों में ४-5 फीट का हो जाता है इसकी छाँव में धान की बीज गोलियोंको फेंक दिया जाता है जब वो उगने लगती हैं जन्तर को मोड़ कर सुला दिया जाता है या काट कर वहीं फेला दिया जाता है। धान उग कर बाहर निकल आती है। जिस में पानी भर कर रखने की कोई जरूरत नही है।
जब गेंहू की फसल कटने वाली होती है इस खड़ी फसल में धान की बीज गोलियों को डाल दिया जाता है जो बरसात में अपने मोसम में उग आती है। सभी अवशेषों को जैसे धान की पुआल या गेंहू की नरवाई को खेतों में जहाँ से लिया जाता है वहीं वापस डाल दिया जाता.
राजू टाइटस
9179738049, wa 7470402776
जंगली खेत में बदलें
हमारे खेतों को वैज्ञानिकों की अज्ञानता के कारण हरित क्रांति बनाम मरुस्थलीकरण कर बर्बाद कर दिया है। खेत रेगिस्थान में बदल गए हैं ,भूमिगत जल १००० फीट पर भी नही मिल रहा है रासायनिक जहरों के कारण हर तीसरे आदमी को केंसर का खतरा बन गया है। हर रोज किसान आत्महत्या कर रहे हैं। हर किसान गले तक कर्ज में फंसा है।
किन्तु अब घबराने की जरूरत नही है जन्तर जिसे ढेंचा कहा जाता है बिना जुताई की जंगली खेती (फुकुओका विधि ) के माध्यम से एक साल में ठीक करने का वायदा कर रहा है। जन्तर सामान्यतय हरी खाद के नाम से जाना जाता है। इसे जब हम बरसात के मोसम में खेतों में बिना जुताई करे छिड़क देते हैं यह तेजी से उग कर पूरे खेत को धक् लेता है जो जुताई के कारण पैदा होने वाली कठोर घासों को भी मार देता है ,खेत को अपनी गहरी जड़ों के मध्यम से भीतर तक जुताई कर देता है जो काम मशीन नही कर सकती है. दूसरा यह अपनी जड़ों के माध्यम से कुदरती यूरिया का संचार कर देता है जो गेंहूँ और धान के लिए जरुरी है।
बरसात में मात्र कुछ दिनों में ४-5 फीट का हो जाता है इसकी छाँव में धान की बीज गोलियोंको फेंक दिया जाता है जब वो उगने लगती हैं जन्तर को मोड़ कर सुला दिया जाता है या काट कर वहीं फेला दिया जाता है। धान उग कर बाहर निकल आती है। जिस में पानी भर कर रखने की कोई जरूरत नही है।
उपरोक्त विडियो में जुताई करना बताया है और रसायनों का इस्तमाल बताया है जो गलत है .ढेंचा सीधे फेंकने से बरसात में उग आता है .इसे जुताई खाद की कोई जरूरत नही है .
दूसरा जन्तर की फसल ली जाती है जिसका बीज इन दिनों बहुत मांग में है। इसको हार्वेस्ट करने से पूर्व ठण्ड के मोसम में इसकी छाँव में सीधे गेंहू के बीज छिड़क कर उगा लिया जाता है बाद में जन्तर को काटकर गहाई करने के उपरांत समस्त अवशेषों को उगते गेंहू पर फेला दिया जाता है दिया जाता है जिस से गेंहू की फसल तैयार हो जातीजब गेंहू की फसल कटने वाली होती है इस खड़ी फसल में धान की बीज गोलियों को डाल दिया जाता है जो बरसात में अपने मोसम में उग आती है। सभी अवशेषों को जैसे धान की पुआल या गेंहू की नरवाई को खेतों में जहाँ से लिया जाता है वहीं वापस डाल दिया जाता.
राजू टाइटस
9179738049, wa 7470402776