एक तिनके से आई क्रांति गेंहू ,चावल औऱ सरसो की कुदरति खेती
जुताई नहीं, यूरिया नहीं ,जैविक खाद नहीं ,जीवाणु खाद नहीं ,कल्चर और जहर नहीं ,निंदाई नहीं ,पानी भरना नहीं ,रोपा लगाना नहीं
धान की खड़ी फसल के ऊपर गेंहू के बीज फेंके जा रहे हैं |
फुकुओका जी गेंहू की खड़ी फसल में धान कीबीज गोलियों को फेक रहे हैं |
धान की गोलियों से धान के रोपे निकल आये हैऊपर सरसों और गेंहू की नरवाई फेंकी गई है |
धानके पुआल से झांकते गेंहूँ के नन्हे पौधेगेंहू की खड़ी फसल में धान की गोलियां डाली गई थींधान की कटाई के बाद पुआल को फैला दिया गया है |
धान के पुआल में से निकलते सरसों के नन्हे पौधेसरसों के बीजों को बिखरा कर धान की पुआलको फैला दिया गया है |
सरसों के बढ़ते पौधे पुआल नीचे बैठ रहा है |
धान की गोलियों में से रोपे गेंहू की नरवाई में सेबाहर निकल रहे हैं बिना पानी वाला खेत फुकुओकाजी का है |
धान की तैयार फसल |
लाल धान की फसल |
धान की तैयार फसल |
गेहू के नन्हे पौधों के ऊपर पुआल फैला दिया गया हैधान की खेती में पानी नहीं भरा जाता है वरन पानी कीनिकासी की जाती है इसके लिए नाली बनाई जाती है। |
गेंहू के नन्हे पौधे पुआल सब नीचे बैठ गया है |
गेंहू की फसल |
गेंहू की तैयार फसल इसमें धान की गोलियां डाली गई हैं |
सरसों की फसल |
वन स्ट्रॉ रिवोल्यूशन के अनुवादक श्री लेरी कॉर्नऔर फुकुओकाजी गेंहू की फसल के बीच में |
क्ले से बनी बीज गोलियां गले लटका कर फेंकी जा रही है |
गेंहू के रोपों के ऊपर धान की पुआल डाली जा रही है |