जब सेम भैया(सेमुअल बेंजमिन फ्रांसिस FB फ्रेंड ) ने कैंसर को लेकर सवाल उठाया है तब मेरे मन में अपनी कहानी सुनाने की इच्छा जाग्रत होगई है। विगत दिनों मेरी पत्नी शालिनी जिनकी उम्र 65 वर्ष की है को अचानक हार्ट अटेक आ गया था उन्हें हमने स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया ही था की अचानक मुझ (71 +)को भी पेरेलेसिस की शिकायत लगी तो मुझे भी उनके साथ अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया ,
५दिन के बाद हमे छुट्टी देकर भोपाल रिफर कर दिया जहाँ शालिनी को मुल्टीब्लॉकेजेस के कारण बाईपास की सलाह दी गयी। हम सोच रहे थे की क्या करें कि मुझे पुन : राइट साइड पेराल्टिकल अटेक आ गया था। थोड़ा बहुत इलाज के बाद हमे घर भेजदिया गया.
हम दोनों के मामले गंभीर थे फिर भी हमने हिम्मत से काम लिआ। जैसा विदित है हम पिछले ३० सालो से कुदरती खेती और कुदरती इलाज विषय पर काम कर रहे हैं इसलिए हमारे लिए यह एक झटका था। हमने आखिर इस विषय को गंभीर मानते हुए खोज जारी रखी।
हमने यह पाया की यह सब हमारी Type 2 diabetes के कारण हुआ है तो फिर हमने अपनी खोज को आगे बढ़ाते हुए यह खोजा की आखिर कुदरती कौन सा तरीका है जिस से हम अपनी Type 2 diabetes को ठीक कर सकते हैं। तो हमे एक वीडियो मिला जिसमे बताया गया है की करीब 50 % अमेरिकन को डायबिटीज है या होने के करीब है और ये लोग कैंसर ,दिल /दिमाग की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं।
यह बात अनेक बार कही जा रही है कि टाइप २ डायबिटीज का सम्बन्ध हमारे खान पान से है जो हमे कैंसर ,हार्ट अटेक ,स्ट्रोक आदि की और धकेल रहा है। हमने यह भी पाया है की अधिकतर डायबिटीज /ब्लड प्रेशर की शिकायत का सम्बन्ध विषैले भोजन से हो रहा है। जिसमे अनाज ,आलू ,चावल और शकर (GPS) का उपयोग ज्यादह होता है।
फिर क्या था हमने अपने ऊपर प्रयोग शुरू कर दिया एक हफ्ते में हमारी डायबिटीज पूरी तरह बिना दवाई के ठीक हो गयी। हम पूरी तरह इन्सुलिन और गोलियों से मुक्त हो गए। जैसे ही हमारी शुगर ठीक हुई हमारी हिम्मत बढ़ गयी। हमने सभी दवाइयों को धीरेधीरे बंद कर दिया। जिस से मल्टीपल ब्लॉक और पैरालिसिस में लाभ होने लगा हमे बइपास और हानिकर रासायनिक दवाओं से मुक्ति मिल गयी।
इस अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं की यदि कैंसर के रोगी को भी विष रहित कुदरती भोजन मिले तो वह भी ठीक हो सकता है।
अब हमने केवल अपने वजन और शुगर पर ध्यान केंद्रित कर दिया और सब प्रभुजी पर छोड़ दिया उसकी मेहरबानी हो उसने हमे चंगा कर दिया। हमने यह भी पाया की यह बीमारी गैरकुदरती खाने के कारण है जिसे हमने लापरवाही के चलते छोड़ दिया था।
दुआ हर हाल में लाभ पहुंचाती है पर हमे यह नहीं भूलना चाहिए की यह शरीर उसकी देन है जिसकी हिफाज़त करना हमारा धर्म है। यह जब ठीक रह सकता है जब हम उसकी बनाई कुदरत का भी ध्यान रखें। जहाँ तक डाक्टर दवाइयों का प्रश्न है यह अब संदेह के घेरे में हैं। इनसे हमे सतर्क रहने की जरुरत है।
वीडियो को भी देखें -
*समुएल बेंजामिन फ्रांसिस ,मेरे भाई भोपाल में ख्याति प्राप्त पास्टर हैं वे सब जगह महामारी के रूप में फेल रही कैंसर की बीमारी से चिंतित हैं। जो सभी को दुआ करने की सलाह देते हैं। उन्होंने फेस बुक के माध्यम से इस समस्या को हम तक पहुंचाया है।
५दिन के बाद हमे छुट्टी देकर भोपाल रिफर कर दिया जहाँ शालिनी को मुल्टीब्लॉकेजेस के कारण बाईपास की सलाह दी गयी। हम सोच रहे थे की क्या करें कि मुझे पुन : राइट साइड पेराल्टिकल अटेक आ गया था। थोड़ा बहुत इलाज के बाद हमे घर भेजदिया गया.
हम दोनों के मामले गंभीर थे फिर भी हमने हिम्मत से काम लिआ। जैसा विदित है हम पिछले ३० सालो से कुदरती खेती और कुदरती इलाज विषय पर काम कर रहे हैं इसलिए हमारे लिए यह एक झटका था। हमने आखिर इस विषय को गंभीर मानते हुए खोज जारी रखी।
हमने यह पाया की यह सब हमारी Type 2 diabetes के कारण हुआ है तो फिर हमने अपनी खोज को आगे बढ़ाते हुए यह खोजा की आखिर कुदरती कौन सा तरीका है जिस से हम अपनी Type 2 diabetes को ठीक कर सकते हैं। तो हमे एक वीडियो मिला जिसमे बताया गया है की करीब 50 % अमेरिकन को डायबिटीज है या होने के करीब है और ये लोग कैंसर ,दिल /दिमाग की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं।
यह बात अनेक बार कही जा रही है कि टाइप २ डायबिटीज का सम्बन्ध हमारे खान पान से है जो हमे कैंसर ,हार्ट अटेक ,स्ट्रोक आदि की और धकेल रहा है। हमने यह भी पाया है की अधिकतर डायबिटीज /ब्लड प्रेशर की शिकायत का सम्बन्ध विषैले भोजन से हो रहा है। जिसमे अनाज ,आलू ,चावल और शकर (GPS) का उपयोग ज्यादह होता है।
फिर क्या था हमने अपने ऊपर प्रयोग शुरू कर दिया एक हफ्ते में हमारी डायबिटीज पूरी तरह बिना दवाई के ठीक हो गयी। हम पूरी तरह इन्सुलिन और गोलियों से मुक्त हो गए। जैसे ही हमारी शुगर ठीक हुई हमारी हिम्मत बढ़ गयी। हमने सभी दवाइयों को धीरेधीरे बंद कर दिया। जिस से मल्टीपल ब्लॉक और पैरालिसिस में लाभ होने लगा हमे बइपास और हानिकर रासायनिक दवाओं से मुक्ति मिल गयी।
इस अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं की यदि कैंसर के रोगी को भी विष रहित कुदरती भोजन मिले तो वह भी ठीक हो सकता है।
अब हमने केवल अपने वजन और शुगर पर ध्यान केंद्रित कर दिया और सब प्रभुजी पर छोड़ दिया उसकी मेहरबानी हो उसने हमे चंगा कर दिया। हमने यह भी पाया की यह बीमारी गैरकुदरती खाने के कारण है जिसे हमने लापरवाही के चलते छोड़ दिया था।
दुआ हर हाल में लाभ पहुंचाती है पर हमे यह नहीं भूलना चाहिए की यह शरीर उसकी देन है जिसकी हिफाज़त करना हमारा धर्म है। यह जब ठीक रह सकता है जब हम उसकी बनाई कुदरत का भी ध्यान रखें। जहाँ तक डाक्टर दवाइयों का प्रश्न है यह अब संदेह के घेरे में हैं। इनसे हमे सतर्क रहने की जरुरत है।
*समुएल बेंजामिन फ्रांसिस ,मेरे भाई भोपाल में ख्याति प्राप्त पास्टर हैं वे सब जगह महामारी के रूप में फेल रही कैंसर की बीमारी से चिंतित हैं। जो सभी को दुआ करने की सलाह देते हैं। उन्होंने फेस बुक के माध्यम से इस समस्या को हम तक पहुंचाया है।