यूरिया जहर है !
हम बिना जुताई की कुदरती खेती करते हैं जिसमे हम किसी भी प्रकार की मानव निर्मित खाद और दवाई का उपयोग नहीं करते हैं। हमने यह पाया है की जब हमारे पडोसी अपने खेतों में यूरिया डालते हैं और सिंचाई करते हैं तो पानी यहां वहां डबरों में भर जाता है उस पानी से मेंढक ,मछलियाँ मर जाती हैं यदि उस पानी को मवेशी पी लेते हैं तो वो भी मर जाते हैं। हमारे स्वम् के मवेशी भी अनेक बार मरे हैं।मेरा सहयोगी शैलेन्द्र बता रहा था की जंगल के करीब रहने वाले अनेक शिकारी जंगली जानवरो का शिकार करने के लिए यूरिया का इस्तमाल करते हैं वो यूरिया को आटे में मिला कर रख देते हैं उन्हें खाने वाले जानवर मर जाते हैं या बेहोश हो जाते हैं वो उन्हें पकड़ लेते हैं।
जंगलो के आस पास किसानो की फसलो को जब जंगली जानवर खाने लगते हैं तो उन्हें यूरिया खिला कर मार डालते हैं। अनेक लोग यूरिया को नशे के लिए भी इस्तमाल करते हैं। जैसा की मालूम है हर नशा जहरीला होता है। यूरिया को पानी में घोल कर पीने से नशा आ जाता है।
मेरा ये सब बताने का आशय यह है की जब यूरिया खेतों में डाला जाता है वह असंख्य धरती माँ की जैव-विविधताओं को मार देता है जो की हमारी फसलों के लिए बहुत जरूरी हैं जैसे केंचुए आदि। दूसरा यह यूरिया हमारी फसलों के खून में मिल कर हमारी रोटी में भी आ रहा है जिस से हम स्लो जहर के शिकार हो रहे हैं।
यूरिया डालने से जमीन की नत्रजन गैस बन कर उड़ जाती है जिस से ग्रीन हॉउस गैस बनती है जो हमारे वायु मंडल में कम्बल की तरह आवरण बना लेती है जिस से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या उत्पन्न होती है।
किसानो को भले इन सब बांतो से कोई सरोकार नहीं हो किन्तु उसे यह मालूम होना चाहिए की उसक जेब का पैसा जब यूरिया के माध्यम से मात्र कुछ मिनटों में गैस बन कर उड़ जाता है यानि आपने जब १००० रु का यूरिया डाला तो ७०० रु उसको डालते ही उड़ जाते हैं।
हम जानते हैं की नत्रजन फसलों के लिए जरूरी है जो हमे अपने आप वातावरण से मिल जाती है कुदरत यह काम खुद करती है। इसे बचाने की जरूरत है जब जमीन की जताई की जाती है तो हर बार की जुताई से जमीन की अधि नत्रजन उड़ जाती है।
इस प्रकार हमारी खरीदी यूरिया और कुदरत की बनाई यूरिया दोनों गैस बन कर उड़ रही और हमारी रोटी जहरीली हो रही है। इस लिए दोस्तों से आग्रह है की किसानो को यूरिया जहर को नहीं डालने हेतु प्रेरित करें। rajuktitus@gmail.com
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