ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन : समाधान की ओर
विधान सभा भोपाल
21 -22 नवम्बर
सरकार ने माना की गलती हुई है जिसे हमे ही ठीक करना है।
ऋषि खेती से होगा समाधान
धरती पर गर्मी बढ़ रही मौसम गड़बड़ाने लगा है कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा पड़ रहा है। फसलें हर मौसम खराब होने लगी हैं खेती किसानी मरने लगी है। ये सब घरती पर हरियाली की कमी के कारण हो रहा है। हरियाली के नहीं रहने के कारण है। विषय को समझने और इसके समाधान की खोज के लिए म. प्र. सरकार के पर्यावरण विभाग ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर दो दिवसीय कार्य शाला का आयोजन भोपाल विधान सभा में आयोजित किआ था जिसमे उन तमाम हस्तियों को बुलाया गया था जो इस समस्या को रोकने के लिए कार्य कर रहे हैं। जिसमे अधिकतर किसान , पर्यावरण विद आदि थे। इसमें होशंगाबाद की ऋषि खेती के श्री राजू टाइटस को भी बुलाया गया था। जैसा की विदित है जहाँ जुताई आधारित खेती करने की विधियों से खेत मरुस्थल में बदल रहे वहीँ बिना जुताई की ऋषि खेती से मरूस्थल हरियाली में बदल रहे है। होशंगाबाद के ऋषि खेत पूरे हरियाली से ढके रहते है जिसमे बंपर फसलें पैदा हो रही हैं।
इस सम्मलेन का उद्घाटन श्री श्री जी से माननीय मुख्यमंत्री जी ने करवाया था प्रारंभिक जानकारी का भाषण लोकसभा संसद श्री अनिल माधव द्वे जी ने और विषय की जानकारी का भाषण श्री शरदजोशी जी जो जयपुर की सहयोगी संस्था के निदेशक हैं ने दिया था।
माननीय मुख्य मंत्री जी शिवराज सिंह जी ने कहा हमारा तीज त्यौहार हमारी संस्कृति के अनुरूप है जो खेती किसानी की देन है। जिस से हम हजारों साल आत्म निर्भर रहे हैं। कभी हमे जलवायु और गर्मी की समस्या नहीं रही है। अब तो देखो बेमौसम बरसात हो रही है हमारे यहां सूखा पड़ा है तो तमिलनाडु में बाढ़ आ रही है लोग मर रहे हैं। यह समस्या कुदरती नहीं है इसे हमने बनाया है जिसे हमे ठीक करना होगा।
उन्होंने बताया की हमने अपनी गलतियों को सुधारने के लिए इस सम्मेलन में पूरे देश से इस समस्या से लड़ने के लिए कार्य कर रहे ज्ञानी लोगों को बुलाया है। जो वो बताएंगे हम उसके अनुरूप भविष्य की कार्य योजना बनाकर उसका अमल करेंगे।
इस सम्मेलन में उत्तराखंड के बारह अनाजी विशेषज्ञ श्री विजय जड़धारी जी ,नागालैंड के झूम खेती विशेषज्ञ श्री माइकल , सतना से आये देशी परंपरागत खेती के विशेषज्ञ श्री बाबूलाल दहिया और होशंगाबाद की ऋषि खेती के जानकार श्री राजू टाइटस जी की प्रस्तुति अपनाने लायक पाई गयी है।
बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि कोई भी वैज्ञानिक खेती किसानी और पर्यावरण से जुडी समस्याओं
के समाधान हेतु कारगर योजना प्रस्तुत कर सका है।
ऋषि खेती एक ओर जहाँ विश्व में अपना पहला स्थान बनाये हुए है वहीं भारत की "जिओ और जीनो दो "
'सत्य और अहिंसा पर आधारित ' भारतीय संस्कृति से निकली पर्या -मित्र खेती है।
इस सम्मलेन का उद्घाटन श्री श्री जी से माननीय मुख्यमंत्री जी ने करवाया था प्रारंभिक जानकारी का भाषण लोकसभा संसद श्री अनिल माधव द्वे जी ने और विषय की जानकारी का भाषण श्री शरदजोशी जी जो जयपुर की सहयोगी संस्था के निदेशक हैं ने दिया था।
माननीय मुख्य मंत्री जी शिवराज सिंह जी ने कहा हमारा तीज त्यौहार हमारी संस्कृति के अनुरूप है जो खेती किसानी की देन है। जिस से हम हजारों साल आत्म निर्भर रहे हैं। कभी हमे जलवायु और गर्मी की समस्या नहीं रही है। अब तो देखो बेमौसम बरसात हो रही है हमारे यहां सूखा पड़ा है तो तमिलनाडु में बाढ़ आ रही है लोग मर रहे हैं। यह समस्या कुदरती नहीं है इसे हमने बनाया है जिसे हमे ठीक करना होगा।
उन्होंने बताया की हमने अपनी गलतियों को सुधारने के लिए इस सम्मेलन में पूरे देश से इस समस्या से लड़ने के लिए कार्य कर रहे ज्ञानी लोगों को बुलाया है। जो वो बताएंगे हम उसके अनुरूप भविष्य की कार्य योजना बनाकर उसका अमल करेंगे।
इस सम्मेलन में उत्तराखंड के बारह अनाजी विशेषज्ञ श्री विजय जड़धारी जी ,नागालैंड के झूम खेती विशेषज्ञ श्री माइकल , सतना से आये देशी परंपरागत खेती के विशेषज्ञ श्री बाबूलाल दहिया और होशंगाबाद की ऋषि खेती के जानकार श्री राजू टाइटस जी की प्रस्तुति अपनाने लायक पाई गयी है।
बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि कोई भी वैज्ञानिक खेती किसानी और पर्यावरण से जुडी समस्याओं
के समाधान हेतु कारगर योजना प्रस्तुत कर सका है।
ऋषि खेती एक ओर जहाँ विश्व में अपना पहला स्थान बनाये हुए है वहीं भारत की "जिओ और जीनो दो "
'सत्य और अहिंसा पर आधारित ' भारतीय संस्कृति से निकली पर्या -मित्र खेती है।
विधानसभा भवन में ऋषि खेती की प्रस्तुति करते श्री राजू टाइटस |
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