खेतों की जुताई का हमारे जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव
आज कल जो भी शाकाहार हम खा रहे हैं वह अधिकतर खेतों से आता है। जब भी फसलों के उत्पादन के लिए खेतों में हल /बखर चलाये जाते हैं तो पेड़ों और झाड़ियों और घासों आदि को साफ़ कर दिया जाता है। जमीन को खूब जाता और खोदा जाता है। इस प्रक्रिया से जब बरसात आती है बखरी मिट्टी कीचड बन जाती है जो बरसात के पानी को जमीन में नहीं जाने देती है। इस कारण बरसात क अपनी तेजी से बहता है अपने साथ खेत की खाद को भी बहा कर ले जाता है। इस कारण बाढ़ आ जाती है और सूखा पड़ता है।एक बार की जुताई में करीब खेत की आधी खाद बह जाती है ऐसा हर बार होता है खेत कमजोर हो जाते हैं इसलिए किसान खेतों में यूरिया डालते हैं जो जहरीला रसायन है। जिस से हमारा खाना भी जहरीला हो जाता है। १- पेड़ों झाड़ियों घासों आदि की कमी के कारण हमे सांस लेने लायक कुदरती हवा कमी हो जाती है।
२- बाढ़ आने से सब डूब जाता है और पानी की कमी के कारण पीने के पानी की कमी हो जाती है।
३-यूरिया आदि विषैले रसायनो से हमारी रोटी भी जहरीली हो जाती है।
४-इस कारण हम और हमारा परिवार बीमार होने लगता है कैंसर जैसी आनेक बीमारियां हमे घेर लेती हैं।
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