जुताई से बड़ी कोई हिंसा नहीं है
जब हम फसलों के उत्पादन के लिए खेतों में हल या बखर चलाते हैं उस समय हम खेतों के सभी पेड़ों को काट देते हैं उनके ठूंठ भी खोदकर फेंक देते हैं। पेड़ जो हमे प्राण वायु प्रदान करते हैं ,पेड़ जो हमे बरसात देते हैं ,पेड़ हमे जो फल और चारा देते हैं ,पेड़ हमे ईंधन देते हैं उनके काटने से हमारी धरती गर्म हो जाती है।
अपनी मिट्टी की स्व जांच करें अपने खेत से जुताई वाली और बिना जुताई वाली मिट्टी उठायें उसे पानी में डाल कर देखें।
असल मरती है हमारी धरती माँ जो दुनिया की सबसे बड़ी हिंसा है। यही कारण है हमारे किसान अब मरने लगे हैं लाखों किसानो ने आत्म हत्या कर ली है और हर दिन करते जा रहे हैं। जब धरती माँ मर जाती है तो हम उसमे अनेक जहरीले रसायन जैसे यूरिया आदि डालते हैं इस से माँ की बची कूची जान भी निकल जाती है हमारा भोजन जहरीला हो जाता है जिस से हम लोग भी मरने लगे हैं।
जुताई करने का सबसे बड़ा नुक्सान बरसात के पानी का शोषण नहीं होना है इसलिए सूखा पड़ रहा है रेगिस्तान पनप रहे हैं।
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