Ground cover crop
भूमी ढकाव की फसल
राइ( Mustered ) का उपयोग
राइ की भूमि ढकाव की फसल |
इस वानस्पतिक ढकाव और जैवविवधताओं के जीवन चक्र से जमीन में उन तमाम पोषक तत्वों का निर्माण होजाता है जिनकी फसलों को जरूरत रहती है. आजतक ऐसी कोई खाद नहीं बनी है जो इस खाद का मुकाबला कर सके।
इस जैविविधता के कारण जमीन गहरई तक बरसात के पानी को सोखने में सक्षम हो जाती है इसलिए जमीन में भरपूर पानी जमा हो जाता है जो बेमौसम वास्प बन जल की आपूर्ति में सहयोग करता है। इसके कारण ही पहाड़ की छोटी पर झरने चलते हैं और नदियों में जल की आपूर्ती होती है।
किन्तु दुर्भाग्य की बात हैं की कृषि वैज्ञानिक इसे खरपतवार कहते हैं। इसलिए किसान हर मौसम खेतों की जुताई करते हैं जिस से जमीन की यह जैव विविधतायें मर जाती हैं और उनके घर भी मिट जाते हैं जिसके कारण बरसात का जल जमीन में नहीं जाता है वह बहता और अपने साथ खेतों की जैविक खाद को भी बहा
कर ले जाता है। इसलिए खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे है।
ऋषि खेती में गेंहूँ और धान की फसलों को पैदा करने से पहले जमीन को दलहन जाती के भूमि ढकाव से ढकना जरूरी रहता है। इसके लिए हम आजकल राइ का उपयोग करने लगे है। राय एक और जहाँ जमीन की नत्रजन की आपूर्ति कर देती है वहीं यह घास जाती की वनस्पति को भी नियंत्रित कर लेती है। इसे हम गेंहूँ के बीज छिड़कने के करीब एक माह पहले छिड़क देते हैं। बाद में गेंहूँ के बीज छिड़क देते हैं। इस से हमे दो फसलें मिल जाती है। राय एक तिलहन बीज है जिसका तेल स्वास्थवर्धक तेलों की श्रेणी में आता है।
गेंहूँकी कटाई गहाई के उपरांत हम गेंहूँ की नरवाई और राय की नरवाई को जहाँ का तहाँ वापस खेतों में डाल देते हैं जहाँ हम बरसात की बरसात की फसलों के बीजों का छिड़काव कर सकते हैं। नरवाई का ढकाव एक और जहाँ खरपतवार नियंत्रण में सहयोग करता है वहीँ सड कर अतिरिक्त जैविक खाद दे देता है।
No comments:
Post a Comment