NATURAL SOIL TESTING
ऋषि खेती मृदा परिक्षण
हम अपने खेतों में मिट्टी की जांच वहां उपस्थित केंचुओं की संख्या से करते हैं। केंचुए जमीन के अंदर रहते है वे जमीन को बहुत गहराई तक छिद्रित बना देते हैं। उन्हें हम सीधे गिन नहीं सकते हैं किन्तु हम उनके घरों को गिन सकते हैं। प्रति मीटर छेत्र में केंचुओं के घरों को गिन कर हम अपनी मिट्टी का परिक्षण कर लेते हैं। जितने अधिक केंचुए के घर रहते है उतने अधिक केंचुए वहां रहते है। इस से जमीन में जैविकता पता चल जाती है। इस जैविकता के अनुसार ही हम फसलों का चुनाव करते हैं।
No of clodes shows house of earthworms per square meter is proof of rich soil. |
वैज्ञानिक मृदा परिक्षण में खेतों में उपस्थित जैविकता ,का पता नहीं चलता है। वैज्ञानिक यह बताने में असमर्थ रहते हैं की प्रति मीटर हमारे खेतों में कितने केंचुए आदि है जो हमारे खेतों को उर्वरक और पानी दार बनाते है।
यह विधि बहुत आसान है इसे एक साधारण किसान आसानी से परख सकता है। केंचुए के घर बरसात के पानी को जमीन की गहराई तक ले जाने में बहुत सहयोग करते हैं। वे कुदरती टिलर हैं।
मशीनी जुताई करने से ये केंचुओं घर टूट जाते हैं इसलिए खेतों में बरसात का पानी नहीं समाता है वह तेजी से बहता है अपने साथ खेत की उपजाऊ मिट्टी को भी बहा कर ले जाता है।
हम पिछले ३० सालो से बिना जुताई की ऋषि खेती कर रहे हैं हमारे खेत में एक भी मीटर जगह नहीं है जहाँ केंचुओं के घर नहीं हों किन्तु जब हम जुताई करते थे एक भी मीटर ऐसी जगह नहीं थी जहाँ केंचुए रहते हों।
जमीन जुताई बहुत हिंसात्मक रहती है यही कारण है की किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
यह विधि बहुत आसान है इसे एक साधारण किसान आसानी से परख सकता है। केंचुए के घर बरसात के पानी को जमीन की गहराई तक ले जाने में बहुत सहयोग करते हैं। वे कुदरती टिलर हैं।
मशीनी जुताई करने से ये केंचुओं घर टूट जाते हैं इसलिए खेतों में बरसात का पानी नहीं समाता है वह तेजी से बहता है अपने साथ खेत की उपजाऊ मिट्टी को भी बहा कर ले जाता है।
हम पिछले ३० सालो से बिना जुताई की ऋषि खेती कर रहे हैं हमारे खेत में एक भी मीटर जगह नहीं है जहाँ केंचुओं के घर नहीं हों किन्तु जब हम जुताई करते थे एक भी मीटर ऐसी जगह नहीं थी जहाँ केंचुए रहते हों।
जमीन जुताई बहुत हिंसात्मक रहती है यही कारण है की किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
2 comments:
Very true sir ji
Very true sir ji
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