Thursday, June 2, 2016

हिंसात्मक खेती के कारण कुए सूख गए : फ्रेंड्स रूरल सेंटर रसूलिया की कहानी

हिंसात्मक खेती के कारण कुए सूख गए : फ्रेंड्स रूरल सेंटर रसूलिया की कहानी 

कुदरत  की सेवा करें सब शुभ होगा : मसनोबु फुकुओका
                          जिओ और जीनो दो 




फ्रेंड्स विचार धारा "सत्य और अहिंसा " पर आधारित है।
खेती किसानी में जमीन की जुताई करना सबसे बड़ी हिंसा है। जिसका सीधा सादा उदाहरण हमारे देश में देखा जा सकता है। जब से भारत में गहरी जुताई ,रासायनिक उर्वरकों ,कीट और खरपतवार नाशकों ,भारी  सिंचाई से की जाने वाली हिंसात्मक खेती जिसे हरित क्रांति का नाम दिया गया है का आगाज़ हुआ है तब से खेती किसानी घाटे का सौदा बन गयी है।

फ्रेंड्स रूरल सेंटर रसूलिया होशंगाबाद एक जग प्रसिद्ध सामाजिक संस्था है। जिसका काम ऐसी तकनीकों का इज़ाद करना है जिस से ग्रामीण विकास हो सके। इसी संदर्भ में इस संस्था में हरित क्रांति आधारित भारी  भरकम योजना लाई गयी थी जो मात्र कुछ ही सालो में नाकाम सिद्ध हो गयी थी।
इस वीडियो में नलिनी टाइटस जो FB फ्रेंड हैं और संस्था की अध्यक्ष है ऋषि खेती तकनीक को समझने की कोशिश कर रही हैं।
मशीनों  की जाने वाली गहरी जुताई ,भारी सिचाई और रसायनों के उपयोग के कारण खेत मरुस्थल में तब्दील हो गए थे। संस्था भारी घाटे में चली गयी थी जिसको जिन्दा  रखना न मुमकिन हो गया था।  उसी समय बहुत जल्दी संस्था के कुछ गाँधीवादी फ्रेंड्स जनो ने इसे फिर से उबारने के लिए ऋषि खेती का आगाज़ किया था।

ऋषि खेती एक गांधी खेती है जिसे विनोबा जी ने देश के टिकाऊ विकास के लिए खोजा था।  यह खेती सत्य और अहिंसा पर आधारित है। विनोबा जी गांधीजी के इस मंत्र से देश को टिकाऊ विकास की ऊंचाईयों तक ले जाना चाहते थे। किन्तु दुर्भाग्य से उस समय के योजना कारों ने उनके इन मंसूबो पर पानी फेर दिया था।

70 -80 के दशक में श्री प्रतापजी अग्रवाल और बुज़ुर्ग स्व.मार्जरी बहन जो गांधीवादी फ्रेंड्स के रूप में जाने जाते हैं ने संस्था ने अहिंसात्मक  ऋषि खेती का आगाज़ कर संस्था को बचा लिया।  उन्होंने मशीनों से होने वाली जुताई और ,रसायनों का पूर्ण त्याग कर दिया।

जुताई बंद करने से खेतों की खाद का बहना  रुक गया और संस्था के उथले कुए जो सूखने लगे  थे फिर से लबा  लब हो गए थे। जिसके कारण बरसात में धान की खेती और ठण्ड में क्लोवर की खेती आसानी से होने लगी थी घाटे में चल रही संस्था अपने आप ऋषि तकनीक से अपने आप सामजिक ,आर्थिक और धार्मिक सोच से लाभप्रद हो गयी थी।

किन्तु अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि "और अधिक "के लालच में आने वाले अनेक फ्रेंड्स जन इस धार्मिक अहिंसात्मक  खेती को नहीं समझ पाये और उन्होंने मशीनों से की जाने वाली गहरी जुताई और जहरीले रसायनों का उपयोग करना शुरू कर दिया जिसके कारण पुन खेत मरुस्थल में तब्दील हो गए हैं।  उथले देशी कुए सूख गए हैं सिंचाई पर आधारित खेती  का होना बंद हो गया है।

हम भी फ्रेंड्स हैं और खेती करते हैं जो पिछले तीस सालो से ऋषि खेती का अभ्यास कर रहे हैं इसके पहले हम भी हरित क्रांति के लालच में आ गए थे जिसके कारण हमारे देशी उथले कुए सूख गए थे खेत बंजर हो गए थे।  किन्तु रसूलिया  की ऋषि खेती के मार्गदर्शन से हम बच गए थे।  हमारे कुए आज भी जब की पूरे देश भयंकर सूखा पड़ा है हमारे कुए भरी गर्मी में लबा लब हैं और खेत हरियाली से भरे हैं।

इस कहानी से हमे यह संदेश मिलता है की यदि हमे अपने देश में खेती किसानी को बचाना है तो हमे अहिंसात्मक ऋषि खेती को ही अपनाना होगा। ऋषि खेती सच्ची कुदरत की की सेवा है और कुदरत ही भगवान है।






3 comments:

Majumdar said...

Who are friends, sir? Are you referring To Quakers. I have heard a lot about them and very impressed.

Regards

Unknown said...

जी हाँ फ्रेंड्स एक धार्मिक संस्था का नाम है। जिसे क्वेकर भी कहा जाता है। इस संस्था का असली काम समाज सेवा है।

elevenvows said...

Please contact me on elevenvows@gmail.com