क्ले (कीचड़ ) मुफ्त में मिलने वाला सर्वोत्तम कुदरती खाद है।
बाज़ारू डिब्बा बंद /बोतल बंद खाद और दवाओं से बचें।
आजकल बाजार में अनेको गैर जरूरी बोतल बंद जैविक और अजैविक खाद दवाओं की बाढ़ आ गई है। जब से वैज्ञानिक खेती सवालों के घेरे में आयी है। जैविक खेती का हल्ला जोरों पर है। इसलिए अनेक जैविक /बायो उत्पाद बाज़ार में आ रहे हैं। जिनको किसानो के अनुदान पर दिया जा रहा है। बेचारे किसान इन्हे मजबूरन ले रहे हैं क्योंकि इसके साथ बीज आदि जरूरी उत्पादों का पैकेज है। किसान इन्हे कूड़े दान में फेंकने पर मजबूर हैं क्योंकि इनसे उनकी फसलों पर कोई भी लाभ नजर नहीं आ रहा है।
असल में खेतों में खाद की कमी का मूल कारण जमीन की जुताई है। जमीन की जुताई करने से हर साल कई टन असली खाद बह जाती है। बारीक बखरी मिटटी बरसात के पानी जमीन के अंदर जाने नहीं देती है इसलिए वह तेजी से बहता है अपने साथ खाद को भी बहा कर ले जाता है। इसलिए खेत मरुस्थल में तब्दील हो जाते हैं।
हम अपने खेतों तीस साल से जुताई नहीं करते हैं ना ही किसी भी पकार के मानव निर्मित खाद और दवा का इस्तमाल करते हैं। हम फसलों के उत्पादन के बीजों को क्ले (कीचड ) से कोटिंग कर बीज गोलियां बना कर खेतों में बिखरा देते हैं।
क्ले एक चिकनी मिट्टी है जिस से मिट्टी के बर्तन बनते है। यह अधिकतर नलो.नदी के किनारे या तालाब की तलहटी में मिलती है। क्ले मिट्टी के एक सूख्स्म कण को जब हम सूख्स्म दर्शी यंत्र से देखते हैं तो हमे असंख्य असंख्य जमीन को और फसल को उर्वरता प्रदान करने वाले सूख्स्म जीवाणु ,केंचुओं ,और अनेक लाभप्रद जैव-विविधताओं के बीज दिखाई देते हैं।
जब यह मिट्टी बीज के साथ अपने खेत में पहुँचती है तो पूरे खेत को खतोडा बना देती है। यह प्रक्रिया ठीक दूध में दही का जामन डालने जैसा ही है। जुताई नहीं करने के कारण खेतों में खाद की मात्रा लगातार बढ़ती जाती है।
जुताई करने से एक और जहां जैविक खाद बह जाती है वहीं नत्रजन गैस बन उड़ जाती है। धरती माँ हमारे शरीर के माफिक जीवित है जब हमारे शरीर में कोई विष जाता है तो हमारा शरीर बीमार हो जाता है जो विष को बाहर निकाल देता है। उसी प्रकार खेतों में जब हम बोतल बंद /डिब्बा बंद अनावशयक जैविक या अजैविक रसायनों को डालते हैं हमारे खेत बीमार हो जाते हैं वो पूरी ताकत लगाकर विषों को बाहर निकलने लगते हैं इस प्रक्रिया अनेक लाभप्रद कुदरती रसायन भी गैस बन कर उड़ जाते हैं।
इस प्रकार किसान का और सरकार का हजारो ,लाखो और करोडो रुपए बर्बाद हो रहा है।
असल में खेतों में खाद की कमी का मूल कारण जमीन की जुताई है। जमीन की जुताई करने से हर साल कई टन असली खाद बह जाती है। बारीक बखरी मिटटी बरसात के पानी जमीन के अंदर जाने नहीं देती है इसलिए वह तेजी से बहता है अपने साथ खाद को भी बहा कर ले जाता है। इसलिए खेत मरुस्थल में तब्दील हो जाते हैं।
क्ले में असंख्य केंचुओं आदि के अंडे रहते हैं। |
हम अपने खेतों तीस साल से जुताई नहीं करते हैं ना ही किसी भी पकार के मानव निर्मित खाद और दवा का इस्तमाल करते हैं। हम फसलों के उत्पादन के बीजों को क्ले (कीचड ) से कोटिंग कर बीज गोलियां बना कर खेतों में बिखरा देते हैं।
क्ले एक चिकनी मिट्टी है जिस से मिट्टी के बर्तन बनते है। यह अधिकतर नलो.नदी के किनारे या तालाब की तलहटी में मिलती है। क्ले मिट्टी के एक सूख्स्म कण को जब हम सूख्स्म दर्शी यंत्र से देखते हैं तो हमे असंख्य असंख्य जमीन को और फसल को उर्वरता प्रदान करने वाले सूख्स्म जीवाणु ,केंचुओं ,और अनेक लाभप्रद जैव-विविधताओं के बीज दिखाई देते हैं।
क्ले में नत्रजन फिक्स करने वाले सूख्स्म जीवाणु रहते है जो पौधों की जड़ों में घर बना कर रहते है। |
क्ले कोटिंग से बीज सुरक्षित हो जाते हैं और जैविक खाद की आपूर्ति भी हो जाती है. |
जुताई करने से एक और जहां जैविक खाद बह जाती है वहीं नत्रजन गैस बन उड़ जाती है। धरती माँ हमारे शरीर के माफिक जीवित है जब हमारे शरीर में कोई विष जाता है तो हमारा शरीर बीमार हो जाता है जो विष को बाहर निकाल देता है। उसी प्रकार खेतों में जब हम बोतल बंद /डिब्बा बंद अनावशयक जैविक या अजैविक रसायनों को डालते हैं हमारे खेत बीमार हो जाते हैं वो पूरी ताकत लगाकर विषों को बाहर निकलने लगते हैं इस प्रक्रिया अनेक लाभप्रद कुदरती रसायन भी गैस बन कर उड़ जाते हैं।
इस प्रकार किसान का और सरकार का हजारो ,लाखो और करोडो रुपए बर्बाद हो रहा है।
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