चारे के पेड़ लगाकर गौसंवर्धन करें : मसनोबु फुकुओका
हरियाली है जहां खुशहाली है वहां
जब से हमने ऋषि खेती को करना शुरू किया है तब से हमे एक सवाल का बार बार जवाब देना पड़ता है वह है गौ संवर्धन का सवाल। इस लिए हमने १९९९ में जब फुकुओका जी सेवाग्राम में पधारे थे हमने भी यह प्रश्न उन पर दाग दिया था।
गौ माता |
हमारा प्रश्न यह है की ऋषि खेती जिसमे जुताई नहीं की जाती है और तमाम कृषि अवशेषों को वापस खेतो में डालने की सलाह दी जाती है ऐसे में हमारे पास गोवंश को खिलाने के लिए चारे की गम्भीर समस्या बन जाती है कृपया बताएं की हम क्या करें ?
उन्होंने कहा की ऋषि खेती करने का मतलब यह नहीं है की किसान गौवंश को ना पाले जबकि ऐसे पर्यावरण का निर्माण करें जिसमे हमारे पास चारे की कोई कमी नहीं रहे और हम हाथी भी पाल सकें। इसलिए हमे चारे के पेड़ लगाना चाहिए। घास की चरोखरों में पेड़ नहीं रखे जा सकते हैं क्योंकि पेड़ों की छाया से घास की पैदावार घट जाती है।
सुबबूल उत्तम चारे के पेड़ |
हम बहुतायत से गौवंश का पालन कर रहे थे और हमने अपने खेतों में चारे के लिए सुबबूल के पेड़ लगाए थे जिन्हे हम फसलों के लिए काट दिया करते थे किन्तु इस सलाह के बाद हमने सुबबूल को काटना बंद कर दिया और उनकी पत्तियों को चारे के लिए इस्तमाल करने लगे इस से हमारे दुधारू पशुओं को बहु लाभ मिला एक और जहाँ उनका स्वस्थ अच्छा हो गया दूध भी बहुत बढ़ गया और हमे नरवाई और पुआल को खेतों को वापस लौटाने में भी कोई समस्या नहीं रही।
यह अनुभव हमको सिखाता की हमे पशु पालन में धार्मिक और वैज्ञानिक दोंनो सोच के समन्वय की जरूरत है एक और जहां गौ हमारी मां है वहीं धरती भी हमारी मां है। धरती मां की सेवा के बिना हम गौ माँ की सेवा नहीं कर सकते हैं। जुताई नहीं करते हुए खेतों में चारे के पेड़ों को रखने से एक और जहां हमे भरपूर चार मिल जाता है वही हमारे ऋषि खेत वर्षावनों की तरह काम करने लगते है। सुबबूल के पेड़ दलहनी होने के कारण खेत को जहां भरपूर नत्रजन देते हैं वहीं चारा ,जलाऊ लकड़ी का भी स्रोत हैं इनकी गहरी जड़ों से भूमिगत जल ऊपर आ जाता है ये वर्षा को आकर्षित करने का काम करते हैं।
आजकल जब से रासायनिक खेती पर सवाल उठने लगे हैं किसानो का आकर्षण पुन : गौ संवर्धन की और मुड़ा है। ऐसी परिस्थिति में अनेक किसान गौ तो पाल रहे हैं किन्तु जमीन की जुताई को बंद नहीं कर रहे हैं इस कारण गौ संवर्धन बहुत बाधित हो रहा है। खेत मरुस्थल में तब्दील हो रहे हैं और बरसात का पानी जमीन के द्वारा सोखा नहीं जा रहा है वह तेजी से बहता है अपने साथ खेत की खाद और मिटटी को भी बहा कर ले जाता है।
इसलिए हमे अब गौ संवर्धन के असली महत्व को समझने की जरूरत है गौ माता केवल फोटो लगाकर पूजने के लिए नहीं है यह खेती किसानी को टिकाऊ बनाने की परम्परा है। आजकल जैविक खेती और जीरो बजट खेती की बहुत चर्चा हो रही है किन्तु जमीन की जुताई को बंद कर चारे के पेड़ लगाने की को बात नहीं है यह एक अधूरा ज्ञान है।
जब से हमने चारे के पेड़ लगाकर जुताई बंद कर ऋषि खेती करने शुरू किया तबसे हमारे खेत चारे ,जैविक खाद और भूमिगत जल से भर गए हैं। ऋषि खेती धर्म ,पर्यावरण और विज्ञान का संगम है। इसे अपना कर हमे अपने देश और लोगों ओ बचा सकते हैं।
2 comments:
sir,
My name is Jatin.I own a small farm land 1.5 acres and want to start rishi kheti.First of all what should I do? start planting trees of subabbul trees or any other tree , what distance .Can you help me out.step by step.I assure you with my this model I would promote many farmers surrroundings my land.
Start with Subabul is good idea it supply nitrogen ,fodder ,fire woods and we can grow wheat /rice near trees. It controll weeds. But this plant in begning needs prtection obce this is above our head do not required prtection.You can make many seed balls with clay and scatter.Clay is very rich in soilenrichig microbes .One quarte acer needs 20-25 plants .
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