छतों के पानी को इकट्ठा करने की योजना
Rain water harvesting
कुदरती बरसात के जल की हार्वेस्टिंग
आजकल नगरों , महानगरों में वाटर हार्वेस्टिंग की बात बहुत हो रही है यह तकनीक छतों से या अन्य ऐसी जगहों से जहां से बरसात का पानी बहता है उसको इकठ्ठा करके उपयोग करने लिए है। इसमें अधिकतर लोग अपनी छतों से बहने वाले पानी को रोककर पाइप्स द्वारा एक टैंक में इकठ्ठा कर लेते हैं। जो आपातकालीन परिस्थिति में उपयोग किया जाता है। कहीं २ योजना को आवश्यक कर दिया गया है। यानि इसके नहीं रहने पर घर बनाने की अनुमति भी नहीं रहती है। यह प्रबंध कुछ हद तक कामयाब भी है यदि इसको सही तरीके से अमल में लाया जाये।
किन्तु देखा यह गया है की अधिकतर घरों में ये खाली खाना पूर्ती वास्ते बनाए जा रहे हैं किन्तु ये सब खाली पड़े रहते हैं। उसका मूल कारण जागरूकता और पानी के प्रबंध की जानकारी का अभाव है। अनेक स्थानों में बरसात पानी को इकट्ठा कर कुओं नल कूप आदि में डाला जाता है।
असल में कुदरत ने बरसात के जल को जमीन के अंदर इकट्ठा करने का प्रबन्ध किया है। बरसात का पानी जमीन के द्वारा सोख लिया जाता है। जो साल भर तमाम पेड़ पौधों ,जीव जंतुओं ,कीड़े मकोड़ों ,जानवरों और मनुष्य के काम तो आता ही है किन्तु यह वाष्प बन बादल बनकर बरसता भी है। जो पुन: जमीन के अंदर जाकर भूमिगत जल से मिल जाता है। किन्तु नगरों और महानगरों में सड़कों और सीमेंट के पक्के फ्लोर बन जाने के कारण प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसलिए पानी का संकट रहता है। इसलिए गैर -कुदरती वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी रहता है।
असल में आजकल खेत का पानी खेत में और गाँव का पानी गाँव की बात चल रही है। इसी प्रकार नगर पालिकाओं को भी नगर का पानी नगर में इकठ्ठा करने के लिए सीमेंट कांक्रीट की सड़कों और फ्लोर बनाने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए जिस से नगर का पानी नगर की जमीन के द्वारा सोख लिया जाये। हर घर में आसपास हरियाली बचाना जरूरी कर देना चाहए।
हमारे घर के आस पास असंख्य पेड़ लगाए हैं। जहां उथला देशी कुआ है। हमने जमीन को सीमंट के फ्लोर से बंद नहीं किया है इस कारण हमारा देशी कुआ सालभर भरा रहता है। हम इस कुए से उतना ही पानी निकालते हैं जितनी हमारी आवष्यकता है इसलिए यह कुआ इस साल भी जबकि हमारा नगर भीषण जल संकट से जूझ रहा है, आसपास के सभी कुए सूख गए हैं फिर भी हमारा यह उथला कुआ भरी गर्मी में पानी दे रहा है। हम अपने खेतों में बिना -जुताई की कुदरती खेती करते हैं। जिसके कारण बरसात का सब जमीन द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।
इसलिए गैर -कुदरती वाटर हारवेस्टिंग के साथ साथ कुदरती जल चक्र को बाधित नहीं करने पर भी ध्यान देने जरूरत है। गैर कुदरती जुताई आधारित खेती के कारण सूखा पनप रहा है। असंख्य देशी उथले कुए ,नलकूप ,तालाब ,डैम सूख गए है।
आज पानी सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है ऐसा नहीं है की बरसात नहीं होती है बरसात तो हो रही है किंतु हम बरसात के पानी के जमीन में जाने वाले सभी रास्ते बंद करते चले जा रहे हैं। सही वाटर हार्वेस्टिंग कुदरती जल चक्र को स्थापित करने से जरूरत है।
इसलिए गैर -कुदरती वाटर हारवेस्टिंग के साथ साथ कुदरती जल चक्र को बाधित नहीं करने पर भी ध्यान देने जरूरत है। गैर कुदरती जुताई आधारित खेती के कारण सूखा पनप रहा है। असंख्य देशी उथले कुए ,नलकूप ,तालाब ,डैम सूख गए है।
आज पानी सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है ऐसा नहीं है की बरसात नहीं होती है बरसात तो हो रही है किंतु हम बरसात के पानी के जमीन में जाने वाले सभी रास्ते बंद करते चले जा रहे हैं। सही वाटर हार्वेस्टिंग कुदरती जल चक्र को स्थापित करने से जरूरत है।
5 comments:
खेत की मेडबन्दी कर खेत का पानी खेत में जमाँ करना उचित रहेगा !
नहीं रहेगा।
खेत की मेडबन्दी से तो खेत का पानी खेत में ही रहता है।मिटटी तो बहेगी नही।
खेत की मेडबन्दी से तो खेत का पानी खेत में ही रहता है।मिटटी तो बहेगी नही।
Khet me pani bhar ja yega to fashl kharab ho jayegi
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