Tuesday, May 17, 2016

दालों की कमी : जुताई का दोष




दालों की कमी : जुताई का  दोष

बिना जुताई की कुदरती खेती अमल में लाएं बम्पर उत्पादन पाएं। 

दालों की किस्म (साभार नेट )
मारे देश में जब से गहरी जुताई ,भारी सिंचाई और रसायनों के द्वारा  खेती की जा रही है तब से दालों  का उत्पादन साल दर साल कम होते जा रहा है। यह कमि इन दिनों  अपने चरम स्तर पर पहुँच चुकी है। जिसका सीधा सम्बन्ध जमीन की जुताई से है। जब भी फसलोत्पादन के लिए जमीन की जुताई की जाती है बरसात का पानी जमीन के द्वारा  सोखा नहीं जाता है इसलिए पानी बहता है अपने साथ जमीन की खाद को भी बहा कर ले जाता इसलिए खेत उतर जाते हैं। कमजोर खेतों में मानव निर्मित खादों को  डालने से गेंहूं /चावल जैसी  फसलें तो पैदा हो जाती।  किन्तु दालें जो खाद बनाती हैं पैदा नहीं हो पाती है और यदि इनके लिए खाद डाली जाती है तो फसलों में कीड़े लग जाते हैं।  इसलिए किसान दालों को बोने  का जोखिम नहीं उठाते है।  

दलहनी फसलों की जड़ों में नत्रजन बनाने वाली सूक्ष्ँजीवनु रहते हैं।
(साभार नेट )

मध्यभारत के लिए बरसात में बोन वाली सोयाबीन किसानो के लिए बहुत लाभप्रद फसल थी किन्तु खेतों में लगातार जुताई करने से खेत इतने उत्तर गए कि सोयाबीन का पैदा होना ही खत्म हो गया है।  जबकि अमेरिका आदि देशों में जहां बिना जुताई  करे सोयाबीन बोई जाती है उनका उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।

जुताई नहीं करने से खेतों की खाद का बहना रुक जाता है। दालें  जो  खाद  बनाती हैं जमीन को पर्याप्त खाद दे देती है। जुताई नहीं करने से दालों  के द्वारा बनाए खाद गैर दलहनी फसलों के काम आ जाती है।  गैर दलहन फैसले जो खाद बनती है वह दालों  के काम आ जाती है।  किन्तु मानव निर्मित खादों से  कुदरती खादों का चक्र  बाधित हो जाता है। गैर कुदरती खादें जमीन की खादों को गैस बनाकर उड़ा  देती हैं। जिसके कारण फसलों के उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

जब हमने बिना जुताई  की खेती शुरू की थी उस समय हमारे खेत जुताई और रसायनों के कारण कान्स घास से भर गए थे। कान्स घास बहुत अधिक नत्रजन खाने वाली घास है इसके रहते हम गेंहूं और चावल की फसल नहीं ले पाते थे इसलिए दलहन फसलों को ही बोते थे जिस का उत्पादन हमे पहले साल से ही उत्तम मिलने लगा था।
बाद में जब खेतों से अपने आप कान्स है गयी तो आसानी से गेंहूं और चावल की फसल भी होने लगी।
फसलों के उत्पादन में नत्रजन का चक्र बहुत महत्वपूर्ण है कुदरत में यह काम दलहनी फसलें करती है। ये अपनी ऊंचाई के अनुसार अपनी छाया के छेत्र में लगातार नत्रजन देने का काम करती है। दहन फसलें बहुत कमजोर खेतों में भी बिना जुताई अच्छे से पैदा हो जाती है।  इसलिए हमारा आग्रह है की किसान बिना जुताई करें दालों की खेती बहुत अधिक मुनाफा कमा  सकते हैं 

2 comments:

Unknown said...

Tuar(arhar) ki kheti karni hey June mey .isko keise bona hey .

Unknown said...

Tuar(arhar) ki kheti karni hey June mey .isko keise bona hey .