बिना -जुताई की बारानी कुदरती खेती
गर्माती धरती और जलवायू परिवर्तन को थामने की योजना
क्ले से बनी बीज गोलियां |
भारतीय परम्परागत खेती किसानी में बारानी खेती होती थी। जिसमे खेत की उर्वरा शक्ति , जल धारण और ग्रहण शक्ति का किसान खास ध्यान रखते थे। किन्तु हरित क्रांति के मात्र कुछ सालो ने देश को मरुस्थल तब्दील कर दिया है। हालत हमारे सामने है।
हरे कवर को सुलाने वाला रोलर |
इसमें पहले जमीन पर अपने आप पैदा होने वाली वनस्पतियों जिनको खरपतवार कहते हैं को पनपने दिया जाता है। हरियाली का ढकाव करीब एक फ़ीट का हो जाता है इसमें सीधे या क्ले से कोटिंग किए गए अनेक किस्म के बीजों को बिखेर दिए जाते हैं और खरपतवारों के ढकाव को जहां का तहाँ जैसा का तैसा सुला दिया जाता है। खरपतवारों को इस प्रकार सुलाना जरूरी है की वह मरे नहीं और तुरंत सीधा भी न हो सके।
हरे कवर पांव से सुलाने का तरीका |
क्ले मिट्टी में जमीन को उर्वरक और पानीदार बनाने असंख्य सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं। जुताई नहीं करने से बरसात का पानी जमीन में समा जाता है। जो वास्प बन सिंचाई करता रहता है। हरा कवर खरपतवारों और कीड़ों का नियंत्रण कर लेता है सड़ कर जैविक खाद में तब्दील हो जाता है।
1 comment:
Good information provided here, Only request for elaboration of process I'm detail from step A to step Z.
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