Friday, February 19, 2016

सॉइल हेल्थ कार्ड : एक महत्वपूर्ण योजना

सोइल हेल्थ : एक महत्वपूर्ण योजना 

 ऋषि खेती तकनीक से जाँचे अपनी साइल 

विगत दिनों माननीय प्रधानमंत्रीजी ने सीहोर में किसानो को सम्बोन्धित करते  हुए "सॉइल हेल्थ कार्ड योजना " के बारे में बताते हुए कहा कि धरती माता  और हमारे शरीर में कोई फर्क नहीं है।  जब हम बीमार होते हैं तो हमे डॉ के पास जाना पड़ता है ,जिसमे डॉ हमारे शरीर की जांच करवाने के लिए अनेक परिक्षण करवाता है जैसे ब्लड टेस्ट ,पेशाब की जांच आदि इस जांच से डॉ को पता चल जाता है की शरीर में कौन सी बीमारी है। इस जांच के आधार पर ही डॉ हमारे शरीर का इलाज करता है।


हम पिछले करीब ३० सालों से कुदरती खेती कर रहे हैं।  हम माननीय प्रधान मंत्रीजी के इस कथन से पूरा इत्तफाक रखते हैं। हमारा भी यही मानना  है की हमारी धरती माँ  हमारे शरीर के माफिक जीवित है। इसलिए जब हम खेतों में हल चलाते हैं तो उसे ठीक वैसी ही तकलीफ होती है जैसी हमारे शरीर को टोन्चने पर होती है। इसी प्रकार  जब हमारे शरीर में कोई रासायनिक  जहर चला जाता है तो हम बीमार हो जाते हैं यदि जहर की मात्रा  अधिक रहती है तो हम मर सकते  हैं।  ठीक ऐसा हमारी धरती माँ के साथ भी होता है।

हमारे देश का स्वास्थ हमारे खेतों की सोइल के स्वास्थ  पर निर्भर है। किन्तु बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़  रहा है कि इस योजना को अभी तक न तो हमारी सरकारों ,योजनाकारों ,कृषि वैज्ञानिकों को भी समझ में  नहीं आ रहा है। वैज्ञानिक लोग सोइल  की जांच कर केवल यही बताते  हैं की उनको कौन से रासायनिक तत्वों की जरूरत है,उन्हें कौन सी खाद खरीद कर अपने खेतों में डालने की जरूरत है।
जब हम बीमार होते हैं तो हमारे शरीर की जांच  कर हमे  दवाइयाँ लिख देते हैं जिन्हे हमे खरीदना जरूरी  हो जाता है।  इसी प्रकार जब कोई वैज्ञानिक हमे सोइल कर जांच कर रिपोर्ट देता है तो हम उस के अनुसार भाग दौड़  कर व सब खरीद लाते  हैं जो हमे बताया  गया है।

असल में यह एक बहुत बड़ा गोरख धंदा है एक और जहाँ जांच के हमे बहुत अधिक दाम चुकाने पड़ते हैं वहीं  हमे  दवाइयों के भी बहुत अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं। जिसका लाभ जाँच और दवाइयों  से जुडी कम्पनियों  को मिलता है।

ठीक ऐसा किसानो के साथ भी हो रहा है। हमारी सोइल असंख्य सूक्ष्म जीवाणुओं का समूह है। जब हम मिटटी के एक छोटे कण को सूक्ष्म दर्शी यंत्र में देखते हैं तो हमे अपनी सोइल में असंख्य सूख्स्म  जीवाणुओं के आलावा कुछ भी नजर नहीं आता है। सभी साइल के कण इन सूक्ष्म जीवाणुओं ,जड़ों आदि से एक दुसरे से जुड़े रहते हैं। जिसे हम ह्यूमस कहते हैं।

हमारे विज्ञान ने अभी तक एक सूख्स्म सोइल कण में क्या है को नहीं जान पाया है इसलिए वह यह नहीं बता सकता है साइल में क्या कमी है ?
 माननीय प्रधान मंत्रीजी ने  अपने भाषण में जैविक खेती को अमल में लाने की बात कही है इसका मतलब यह है रासायनिक खेती के दिन अब लद गए हैं। अब जैविक खेती की बात चल पड़ी है।  इसलिए हमे अपनी साइल की जैविकता की जांच खुद करने की जरूरत है। इसमें ऋषि खेती की जांच तकनीक बहुत कारगर सिद्ध हुई है।
इस तकनीक में दो प्रकार की सोइल को एक साथ पानी डालते है जिस मिटटी की हेल्थ अच्छी रहती है वह मिटटी में बिखरती नहीं है किन्तु जिस सोइल की तबियत ख़राब रहती है वह बिखर जाती है। दूसरा हम दो प्रकार की साइल एक स्वस्थ और दूसरी बीमार सोइल के ऊपर कृत्रिम पानी की बरसात करवाते है। स्वस्थ साइल पूरे पानी को सोख लेती है जबकि बीमार साइल पानी को नहीं सोख पाती है उसमे से पानी साइल दोनों बह जाते हैं।
इन दोनों विधियों को इंटरनेट की सहायता से यू ट्यूूब पर देखा जा सकता है। इसको खोजने के लिए YouTube  Titus Natural Farm : Raju Titus. Tilled and No Tilled soil. और  YouTube Tilling is a big loss to nature : Madhu Titus
पर देखा जा सकता है।
माननीय प्रधान मंत्रीजी ने अपने भाषण में जल प्रबंधन के बारे में बोलते हुए बताया  है की हमे बरसात के पानी को अपने खेतों में ही सहेजने की जरूरत है जिस से हम बूँद बूँद पानी से अधिक से अधिक फैसले पैदा कर सकें इसके लिए बिना जुताई की सभी खेती की तकनीकी वरदान हैं।

हमने विगत ३० सालो से पानी को खेत के बाहर बह कर निकलते नहीं देखा है इसके कारण हमारे देशी उथले भरी गर्मी में लबालब रहते हैं जबकि हमारे पड़ोसियों के कुए भरी बरसात  में भी ख़ाली रहने लगे है। जुताई नहीं करने से सोइल हेल्थ अपने आप ठीक हो जाती है। उसमे असंख्य जीव-जंतु ,कीड़े मकोड़े ,केंचुए आदि काम करते हैं। जो उन सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ती कर देते हैं जो फसलों के लिए जरूरी रहते है। तमाम खरपतवारें और कृषि अवशेषों जैसे पुआल,नरवाई आदि को जहाँ का तहाँ वापस डाल  भर देने से फसलों की खाद की आपूर्ति हो जाती है। इसलिए किसानो को हमारी  सलाह है की वे जुताई बंद कर तमाम कृषि अवशेषों को वापस खेतों में डाल  कर मानव निर्मित रासायनिक ,जैविक खाद ,बायो फ़र्टिलाइज़र ,गोबर गो मूत्र से बनी खाद के गोरख धंदे से अपने को बचा सकते हैं। जो कुदरत बनाती है वह इंसान नहीं बना सकता है।



No comments: