सीड बॉल बनाये और सब भूल जाएँ !
जब किसान फसलो के उत्पादन के लिए जमीन की जुताई करता है तो एक बार में उसकी जमीन की आधी जैविक खाद बह जाती है। ऐसा हर बार जुताई करने से होता है। असल में मिट्टी असंख्य आँखों से नहीं दिखाई देने वाले सूक्ष्म जीवाणुओ का समूह है जो ह्यूमस कहलाता है. यह जैवविविधता असली जैविक खाद कहलाती है। जुताई करने से यह जैविकता मर जाती है जिस से खेत में कीचड़ बन जाती है। यह कीचड़ बरसात के पानी को जमीन में अंदर नहीं जाने देती है जिस से पानी तेजी से बहता है अपने साथ इस जैविकता को भी बहा कर ले जाता है। इस प्रकार हर बार जुताई करने से यह नुक्सान लगातार होता है।
यदि हम इस जैविक खाद को बचा लेते हैं तो इस से दो फायदे एक साथ होते हैं पहला बरसात का पानी बहता नहीं है वह इस जैविकता के द्वारा बनाई नालियों के द्वारा जमीन में सोख लिया जाता है। दूसरा जैविक खाद बहने से रुक जाती है। जो अपने आप तेजी से पनपती है जो फसलो के लिए जरूरी है इसलिए मानव निर्मित किसी भी प्रकार की खाद की जरूरत नहीं रहती है।
इस चित्र में हम खेतों से बह कर बाहर जाने वाली चिकनी मिटटी से बनी गोलियां दिखा रहे हैं इस मिट्टी को क्ले कहते हैं ,यह वह मिटटी है जिस से मिटटी के बर्तन बनते हैं। जो आस पास नदियों ,नालो ,पोखरों ,तालाबों में जमा हो जाती है। मिटटी असंख्य सूख्स्म जीवाणुओ का समूह है इसको खेतों में डालने से ये जीवाणु तेजी से कमजोर मिटटी को उपजाऊ बना देते हैं। इन गोलियों में हम फसलों के बीज रख देते हैं जो जीवाणुओं से बनी ताकतवर मिटटी में पनपते हुए निरोग फसलें देते हैं। जुताई नहीं करने के कारण यह जैविकता तेजी से पनपती रहती है जिसका कोई भी मानव निर्मित खाद मुकाबला नहीं कर सकती है।
इसलिए हमारा यह मानना है की पहले हम जुताई कर अपने खेतों की कीमती जैविक खाद को बहा दें फिर गोबर ,रसायनो आदि की मृत प्राय : खाद बना कर डाल अपनी पीठ थपथपाएं इस से बड़ी मूर्खता और क्या हो सकती है ?
असल में जुताई आधारित रासायनिक खेती ,जैविक खेती और जीरो बजट खेती इस मूर्खता का नमूना है।
इसलिए हम कहते हैं की जो कुदरत बनाती है वह इंसान नहीं बना सकता हैं।
आज जो सूखा पड़ रहा है उसका कारण गैर कुदरती खेती है कुदरती खेती कर हम सूखे पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। बिना जुताई की खेती करने के लिए सीड बाल बना कर फेंकने के आलावा कुछ करने की जरूरत है।
सीड बॉल बनाने के लिए क्ले मिट्टी मे बीजों को मिलाकर अाटे की तरह गूथ कर करीब अाधा इंच व्यास की गोलिया बना ली जाती हैं। सुखाकर रखलिया जाता है। जीबी बरसात हो जाए गोलियों को करीब एक वर्ग मीटर मे १० गोलियों के हिसाब से बिना जुताई करे डाल दिया जाता है।
असल में जुताई आधारित रासायनिक खेती ,जैविक खेती और जीरो बजट खेती इस मूर्खता का नमूना है।
इसलिए हम कहते हैं की जो कुदरत बनाती है वह इंसान नहीं बना सकता हैं।
आज जो सूखा पड़ रहा है उसका कारण गैर कुदरती खेती है कुदरती खेती कर हम सूखे पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। बिना जुताई की खेती करने के लिए सीड बाल बना कर फेंकने के आलावा कुछ करने की जरूरत है।
सीड बॉल बनाने के लिए क्ले मिट्टी मे बीजों को मिलाकर अाटे की तरह गूथ कर करीब अाधा इंच व्यास की गोलिया बना ली जाती हैं। सुखाकर रखलिया जाता है। जीबी बरसात हो जाए गोलियों को करीब एक वर्ग मीटर मे १० गोलियों के हिसाब से बिना जुताई करे डाल दिया जाता है।
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