नर्मदा जयंती
जो नाले नर्मदा नदी में गिरते हैं उनकी भी उतनी कदर होनी चाहिए जितनी नर्मदाजी की होती है।
होशंगाबाद में विगत अनेक सालो से नर्मदा नदी की जयंती मनाई जाती है। यह नदी न केवल मध्यप्रदेश में वरन पूरे भारत में अपने विशाल स्वरूप से एक पवित्र नदी के रूप में पूजी जाती है। हर साल अनेक श्रद्धालु इस नदी में नहाने के लिए यहां आते हैं और इसके जल को पवित्र मान कर अपने साथ ले जाते हैं।
लोगों का विश्वास है की इस नदी में नहाने से और इसके जल का सेवन करने से हमारे पाप धुल जाते हैं और प्रभु कृपा हम पर बनी रहती है।
नर्मदा घाट पर नर्मदा जयंती के उपलक्ष्य में हो रही पूजा। |
हमारे देश में नदियों ,पहाड़ों ,वृक्षों ,पशुओं आदि की पूजा किसी धर्म ,जाती के आधार पर नहीं वरन हमारे पर्यावरण के संरक्षण के उदेश्य से ऋषि मुनियों के ज़माने से होती आ रही है। कारण ये कुदरती संसाधन अभी तक बचे हैं।
किन्तु विगत कुछ वर्षों से हमने कुदरती इन देवीदेवताओं के बदले विकास रुपी राक्षश की पूजा करनी शुरू कर दी है। जिसमे बिजली ,सड़क ,पेट्रोलियम उत्पाद और रासायनिक खाद प्रमुख हैं इसलिए हमारे कुदरती संसाधन अब नस्ट होते जा रहे हैं।
नर्मदा नदी में जल उसके किनारे के छेत्रों की जमीनों से भूमिगत झरनो के माध्यम से आता है यह जल बरसात में जमीनो के द्वारा सोख लिया जाता है जो साल भर नदी को उपलब्ध होता रहता है। किन्तु आधुनिक वैज्ञानिक खेती के कारण अब यह जल जमीनो में नहीं सोखा जाता है इसलिए नदी में जल की भारी कमी हो रही है और खेती में जहरीले रसायनो के उपयोग के कारण यह जल बहुत दूषित हो रहा है।
दूसरी समस्या यह है की इस जल का बड़े पैमाने पर नगरों में मशीनो के द्वारा उपयोग किया जाने लगा है जिस
से दूषित जल भी बड़े पैमाने पर नदियों में मिलने लगा है। इन नालों में लोग अनेक प्रकार की बेकार की वस्तुएं मरे जानवर आदि डालने लगे हैं जैसे प्लास्टिक ,मरे जानवर ,अस्पतालों और शादी से निकलने वाली डिस्पोजल आदि जिनके कारण प्रदूषण चरम सीमा पर है। जब कभी इन नालों में बरसात के कारण बाढ़ आती है यह तमाम गंदगी इन नालों के आसपास जमा हो जाती है जो भारी गंदगी का कारण बन रही है।
ऐसा ही एक नाला हमारे ऋषि खेतों से होकर गुजरता है। हमारी ऋषि खेती जगप्रसिद्ध है यह होशंगाबाद में अनेक दर्शनीय स्थानो के समान है जिसे देखने अनेक पर्यावरण प्रेमी ,किसान ,स्व. सेवी सस्थाओं के लोग देश विदेश से देखने आते हैं। वो इस नाले की गंदगी को देख कर बहुत दुखी होते हैं। दुःख केवल ऋषि खेती से निकलने का दुःख नहीं है यह दुःख हमारी सभ्यता को देख कर होता है की एक और तो हम माँ नर्मदा की पूजा करते हैं और दूसरी और उसे इस प्रकार गन्दा कर रहे हैं।
हम इस नाले की सफाई अपने स्तर पर लगातार करते रहते हैं किन्तु यह नाला बहुत दूर से आता है जैसे जैसे अब नगर बढ़ रहा है यह गंदगी भी तेजी से बढ़ रही है।
हमारा यह मानना है की हम नर्मदाजी को केवल घाटों पर ही पूजयनीय मानते हैं जबकि ये नाले आजकल नर्मदाजी में पानी सप्लाई करने वाले बन गए हैं ,यदि इन नालो को रोक दिया जाये जो असंभव है नदी सूख जाएगी। जब से मौसम में तब्दीली आना शुरू हुआ है बरसात कम होने लगी है समस्या और जटिल हो गयी है। इस लिए हमे इन नालों को भी पवित्र मान कर इनकी पूजा करने की जरूरत है क्योंकि ये नाले नदी को असली जल प्रदाय करने लगे हैं।
इसके जरूरी है की नर्मदाजी की आस्था के सोच में बदलाव लाना पड़ेगा हमे इन नालों की साफ़ सफाई और सोन्दर्यी करण पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जब हम यह मानते हैं की नदी में हमे साबुन का इस्तमाल नहीं करना चाहिए जिस से नदी दूषित होती है तब हमे अपने घरों में साफ़ सफाई में आने वाले जहरीले रसायनो के बदले हानिरहित चीजों का इस्तमाल करने की जरूरत है।
हम ऋषि खेती में जमीन की जुताई नहीं करते हैं इस से बरसात का सम्पूर्ण जल जमीन के द्वारा सोख लिए जाता है जो नर्मदाजी को साल भर सप्लाई होता है। हम किसी भी मानव निर्मित खाद और रसायन का इस्तमाल नहीं करते हैं जिस से भूमिगत जल शुद्ध रहता है इसी प्रकार हम अपने खतों को हरियाली से ढाक कर रखते हैं जिस से कुदरती शुद्ध हवा का संचार होता है। यह हमारी माँ नर्मदा के लिए की जा रही सच्ची पूजा है।
यदि हम सब मिल ऋषि खेती करते हैं और घरों में प्लास्टिक ,जहरीले साबुन आदि का उपयोग बंद कर देते हैं ,नालों में किसी भी प्रकार जहरीले रसायनो को मिलने से रोक देते हैं तो इस से बहुत लाभ मिलेगा स्वास्थ पर होने वाले खर्च कम हो जायेंगे हम बीमारियों से बच जायेंगे।
हमने यह पाया है नगर में अनेक छोटी छोटी ऐसी इकाइयां हैं मोटर ,कार आदि के सफाई सेंटर इनसे भी बहुत गंदगी नदियों में जा रही है ,अनेक डाक्टरों की दुकानो से गन्दी वस्तुए निकल रही है जिन्हे नालो में डम्प किया जा रहा है। मेरिज गार्डन और होटलों से भी बहुत गंदगी है जिसे लोग नालो में डाल रहे हैं जिसे रोकने की जरूरत है। असल में इस सम्बन्ध में जागरूकता की बहुत कमी है इसलिए हम अपने फार्म पर निशुल्क शिक्षण का भी काम कर रहे हैं। शिक्षा सबसे पहले मेरे से शुरू होती है।
माँ नर्मदा की पूजा का मतलब दिखावा नहीं है यह हमारी आस्था का प्रश्न है जिसे हमे खराब होने से बचाने की सख्त जरूरत है।
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