Friday, September 4, 2015

तवा कमांड मरुस्थल में तब्दील हो रहा है !

 तवा कमांड मरुस्थल में तब्दील हो गया  है !

ऋषि खेती से ठीक करें। 

हरियाली है जहाँ खुशहाली है वहां 

The One Straw Revolution (एक तिनका क्रांति )
होशंगाबाद के तवा बांध के सिंचित खेत आम आदमी की नजर में बहुत विकसित नजर आते हैं,किन्तु हकीकत यह है की इन खेतों की उर्वरकता और जलधारण  छमता खत्म हो गयी है।  इनमे रासायनिक जहरों का बहुत अधिक प्रदूषण हो गया है। पोषक तत्व नस्ट हो गए हैं। 

ये खेत अब रसायनो और बाँध के पानी पर पूरी तरह आश्रित हो गए है।  एक समय था जब इन खेतों में ७ से लेकर १२ अनाजों की कुदरती खेती होती थीअब केवल गेंहू ही ऐसी फसल है जो  हो रही है जिसमे उत्पादन हर साल घट रहा है। ये वैज्ञानिक खेती का नमूना है।

ऐसा वैज्ञानिक खेती के कारण हुआ है। जिसमे पेड़ों को काटना , गहरी जुताई ,अंधाधुन्द रसायनो का उपयोग, भारी  सिंचाई, नरवाई पुआल आदि को जलाना प्रमुख है। 

जब खेतों को मशीनो से गहरा जोता  जाता है तब बरसात का पानी जमीन में नहीं सोखा जाता है वह तेजी से बहता है अपने साथ खेत की खाद को बहा  कर ले जाता है। इस से खेत मुरदार हो कर सूख जाते है वे मरुस्थल में तब्दील हो जाते हैं। ऐसा ही यहां हुआ है। 

हम पिछले तीस साल से बिना जुताई की कुदरती खेती कर रहे है जिसे हम ऋषि खेती कहते हैं।  इस खेती में जमीन की जुताई नहीं की जाती है इस कारण बरसात का पूरा पानी जमीन के द्वारा सोख लिए जाता है पानी के बह  कर बाहर नहीं जाने के कारण खेतों की खाद का बहना रुक जाता है। इस से अपने आप खेत खतोड़े  और पानीदार हो गए हैं। इस से खेतों में साल भर हरियाली रहती है जिसके कारण खेत असंख्य जैवविविधताओं से भर गए है जो खेतों में पोषक तत्वों की आपूर्ति कर देते हैं।  हमारे खेतों की मिट्टी में असंख्य नत्रजन तथा अन्य पोषक तत्वों को प्रदान करने वाले सूख्स्म जीवाणु हैं जो लगातार खेतों को खतोड़ा बना  रहे हैं। 

हम खरपतवारों को मारते  नहीं है तथा पुआल और नरवाई आदि को जहां का तहाँ पड़ा रहने देते हैं जिस से खेतों को अतिरिक्त खाद मिल जाती है। जिस से हमे फसलों में बहुत अच्छा उत्पादन मिलता है। चारे के पेड़ों की हरयाली और पशु पालन  इसमें चार चाँद लगा रहे हैं।  

ऋषि खेती करने से पहले हम भी वैज्ञानिक खेती करते थे जिस से हमारे खेत मरू हो गए थे जो अब सुधर गए हैं। हमारे देश में खेती किसानी में घट रही आमदनी का मूल कारण जमीन की जमीन की जुताई है इसे बंद कर हम खेतों की खोयी ताकत बिना लागत के  से वापस ला सकते हैं। 





4 comments:

Majumdar said...

Dear Rajuji,

There is one thing I dont understand. You say you allow goats to roam around in your fields, wouldnt they eat up the growing crop plants?

Regards

Unknown said...

We are protecting our crops with Goats and chikens.
Thanks
Raju

Unknown said...

We are protecting our crops with Goats and chikens.
Thanks
Raju

Majumdar said...

Rajuji,

What I meant is how? Wouldnt the goats graze the growing young rice and wheat plants?

Regards