भूमि ढकाव की फसलों का फायदा
भूमि ढकाव की फसले जिन्हे हम नींदा या खरपतवार समझ कर चुन चुन कर निकलते और मारते रहते हैं ये असली हमारी फसलें होती हैं जो हमारे खेत को कुदरती हवा ,पानी, जैविक खाद और बीमारियों से सुरक्षित कर देती हैं।इस ढकाव के नीचे असंख्य जीव जंतु ,कीड़े मकोड़े और सूक्ष्म जीवाणु काम करने लगते हैं जो खेत को पोषक तत्वों और नमि से सरोबार कर देते हैं। इस ढकाव के कारण फसलों में बीमारियां नहीं लगती हैं। यह बात जो अधिकतर किसान और खेती के डाक्टर कहते हैं की ये फसलों का खाना खा लेती हैं गलत बात है।
इस गलत धारणा के कारण किसान इस हरियाली को वर्षों से नस्ट करते आ रहा है जुताई करने का भी यही कारण है जबकि ये जैव विविधताएं खेत को इतना अच्छा बखर देती है जितना कोई मशीन नहीं बखर सकती हैं और खेत को बहुत अच्छे से खड़ौदा बना देती हैं।
जब हमारे खेत में नमि ,खाद और छिद्रियता का काम हो जाता है फिर खेत की जुताई करने से खेत मर जाते हैं जो एक गैर जरूरी काम है। जुताई करने से बारीक बखरी बारीक मिट्टी बरसात के पानी के साथ मिल कर कीचड़ में तब्दील हो जाती है जो पानी को खेत में जाने से रोक देती जिस से पानी तेजी से बहता है साथ में खेत की जैविक खाद को भी बहा कर ले जाता है इस प्रकार एक बार की जुताई से खेत की आधी जैविक खाद बह हो जाती है।
हम इस ढकाव में फसल के बीजों को सीधे या क्ले की सीड बॉल बना कर फेंक देते हैं और इस हरियाली के ढकाव को जहां का तहाँ हरा का हरा सुला देते हैं जिस से यह मरता नहीं है और हमारे बीजों को सुरक्षित कर लेता है जो उग कर इस ढकाव से बाहर निकल आते हैं। इस दौरान ढकाव की फसल का कार्यकाल पूरा हो जाता है वह सूख जाता है जो सड़ कर उत्तम जैविक खाद बना देते है।
नोट : कुछ भूमि ढकाव की फसले जिनका कार्यकाल बरसात के साथ ही खतम हो जाता है उन्हें सुलाने की भी जरूरत नहीं है जैसे गाजर घास , समेल घास आदि। वो अपने आप नीचे गिर जाती हैं।
1 comment:
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