ऋषि -खेती
शुरू कैसे करें
जब हम ऋषि खेती जो असल में नेचरल फार्मिंग है जिसे फुकुओका फार्मिंग भी कहा जाता है करते हैं तब हमारा उदेश्य मात्र पैसा कमाना नहीं रहता है। ऋषि खेती वाकई में एक भूमि सुधार योजना है। हम अपनी जमीन को जुताई आधारित खेती के कारण पनपते मरुस्थल से बचा लेते हैं। पहले साल में हमारे खेत हरियाली से भर जाते हैं उसमे कुदरती हवा ,पानी का संचार शुरू हो जाता है। बरसात का पानी जो हर साल बह कर हमारे खेत से निकल जाता था वह रुक जाता है इस कारण खेत की जैविक खाद का बहना भी रुक जाता है।
यह सब जानते हैं की फसलों का उत्पादन पूरी तरह खाद और पानी पर निर्भर रहता है खाद पानी से हमारे खेत भर जाते हैं तो फसलों को तो होना ही है। इसमें हम सीधे बीजों को भी बिखेर सकते हैं। बीजों को सीड बॉल बना कर डालना सबसे सुरक्षित उपाय है। अनेक फलदार पेड़ों के रोपे भी लगाते जाते हैं उदेश्य हमारा अपने खेत को हरयाली से भरना है। जैसे ही हम जुताई छोड़ते हैं पहली बरसात में हमारे खेत हरयाली से भर जाते हैं ये वनस्पति जो आम भाषा में खरपतवार कहलाती है ऋषि खेती की जान होती है इसको बचाना ऋषि खेती की प्राथमिकता रहती है । इस वनस्पति को हम भूमि ढकाव की फसल कहते हैं जो अपने आप आती है। इसके नीचे असंख्य जीव जंतु , कीड़े मकोड़े ,केंचुए ,सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं जो अपने खेत में खाद बना देते हैं। हमारी फसलों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। हम इस वनस्पतियों को सीड बॉल डालते हुए अपनी फसलों से बदल देते हैं जिस से ये लुप्त हो जाती हैं। इन्हे मारने से हमारी फसलें दुखी होकर बीमार हो जाती है ।
सीड बॉल की जानकारी केलिए http://rishikheti.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html क्लिक करें।
1 comment:
This is very informative and useful blog for understand rishi kheti.
https://www.merikheti.com/prakritik-kheti-ya-natural-farming-me-jal-jungle-jameen-sang-insaan-ki-sehat-se-jude-hain-raaj/
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