गाजर घास से करे बिना -जुताई की खेती
खेत और किसान को ताकतवर बनाने की योजना
बिना जुताई की खेती के कारण खेत का पानी खेत के द्वारा सोख लिया जाता है वह बहता नहीं है इसलिए खेत की खाद और मिट्टी का बहना भी रुक जाता है।
गाजर घास की फसल |
बिना -जुताई की खेती करने से एक और जहाँ लागत और श्रम में इजाफा होता है वहीँ बरसात का पानी जमीन में समा जाता है जिस से बाढ़ और सूखा दोनों में इजाफा होता है। भूमि और जल के छरण के रुक जाने से खेत ताकतवर और पानीदार हो जाते है।
क्ले से बनी बीज गोलियां |
बिना जुताई की संरक्षित खेती |
दूसरी विधि जो बिना-जुताई की जैविक खेती के नाम से जानी जाती है जिसमे पहले खेत में भूमि ढकाव की फसल पैदा की जाती है जिसे क्रिम्पर रोलर की सहायता से सुला दिया है जिसमे जीरो टिलेज सीड ड्रिल की सहायता से बुआई कर दी जाती है।
बिना जुताई की जैविक खेती |
तीसरी विधि जिसकी खोज जापान के फुकुओका गुरूजी ने की है जिसमे मशीनों ,रसायनों आदि की जरूरत नहीं रहती है जो दुनिया भर में नेचरल फार्मिंग के नाम से जानी जाती है जिसे हम पिछले तीस साल से अमल में ला रहे हैं जिसमे हम गाजर घास के भूमि ढकाव की फसल को बचा कर , उसमे हम क्ले से बनी बीज गोलियों को बिखरा देते है।
बिना जुताई की कुदरती खेती |
इसमें हमने गाजर घास को बहुत सहयोगी पाया है गाजर घास का भूमि ढकाव जब बड़ा हो जाता है वह सभी वनस्पतियों को नियंत्रत कर लेता है इसके ढकाव में क्ले से बनी बीज गोलियों को छिड़क कर हम पांव से गाजर घास को सुला देते हैं। सोये हुए गाजर घास में एक ओर बीज गोलियां सुरक्षित हो जाती है वहीं वह सड़ कर उत्तम जैविक खाद में बदल जाता है। क्ले में असंख्य जमीन को उर्वरकता प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं। जो गाजर घास के ढकाव में तेजी से पनपते हैं।
जैव -विविधताओं से फसलों के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की आपूर्ति हो जाती है।
फसले कुदरती पैदा होती हैं ,जिन का सेवन करने से एक और जहां कुपोषण खत्म हो जाता है वहीं केसर जैसे रोग भी ठीक किये जा रहे हैं। कुदरती अनाज ,फल ,सब्जियां आठ गुना अधिक कीमत रखती हैं घर बैठे बिक जाती हैं। इसे कहते हैं "आम के आम और गुठलियों के दाम " .
कुदरती उगाए ,कुदरती खाएं ,कुदरती से कमाएं !
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