Thursday, March 24, 2016

नरवाई जलाना महापाप है।

नरवाई जलाना महापाप है। 

गेंहूं की नरवाई से करें बिना जुताई ,बिना खाद और दवाई की खेती। 

गेंहूं की नरवाई से ऊगते धान के पौधे सीधे बीज फेंके गये हैं। 
रवाई असली जैविक खाद है। नरवाई में फसलों के उत्पादन के सभी पोषक तत्व मौजूद  होते हैं। नरवाई को जहाँ का तहां वापस खेतों में डाल देने से इसमें असंख्य जीव जंतु सुरक्षित हो जाते हैं जो पोषक तत्वों और नमी को बढ़ा देते हैं। नरवाई के कवर  में फसलों में लगने वाले कीड़ों के दुश्मन रहते हैं जो कीड़े लगने नहीं देते हैं।

नरवाई को जला देने से और खेतों को बखर देने से एक और जहाँ नरवाई से मिलने लाभ नहीं मिलता है वहीं खेतों की जैविक खाद गैस बन कर उड़ जाती है। पोषक तत्वों की कमी और बीमारी के कीड़ों के दुश्मनो के नहीं रहने के कारण फसलों में बीमारी उत्पान हो जाती है।  नरवाई का  कवर  जमीन पर सीधे पड़ने वाली  धूप  को रोक लेता  है जिस से खरपतवारो  का भी नियंत्रण हो जाता है।
गेहूं की नरवाई में लगाई गयी आग। 

खेतों में जुताई  नहीं करने और नरवाई को वापस जहाँ का तहां डाल  देने भर से खेतों में बंपर फसल मिलती है।
हमारी सलाह है की फसलों को बोने  के लिए नरवाई के कवर  में अगली फसलों के बीजों को सीधे फेंक भी देने से खेती का कार्य पूरा हो जाता है।  लागत और श्रम की भारी बचत हो जाती है।  हमारी खेती लाभप्रद हो जाती है। उत्पादन बंपर मिलता है।

बिना जुताई करें और नरवाई से खेत को ढांक कर खेती करने से एक और जहाँ हमे बंपर उत्पादन मिलता है वहीं खेत सूखते नहीं है।  बरसात का पूरा पानी जमीन के द्वारा सोख लिया जाता है।  भूमिगत जल लगातार बढ़ता जाता है। 

2 comments:

RAJENDRA SINGH RATLAM WALA said...
This comment has been removed by the author.
RAJENDRA SINGH RATLAM WALA said...

ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए शुक्रिया।
राजेंद्र सिंह।
अजमेर। राजस्थान।