Saturday, March 5, 2016

घरों से निकलने वाला कचरा कीमती है उसे बर्बाद नहीं करें !

 घरों से निकलने वाला कचरा कीमती है उसे बर्बाद नहीं करें 

आम के आम गुठली के दाम 


जकल शहरों में दिन प्रति दिन घरों से निकलने वाला कचरा मुसीबत बनते जा रहा है। जिसके कारण नगर पालिका और उसके कर्मचारियों की नाक मे दम हो रही है। यह कचरा सामान्यत: दो प्रकार का रहता है 'सूखा और गीला '


कचरा मुसीबत बन जाता है। 
सूखे कचरे में अधिकतर आजकल प्लास्टिक ,कांच और लोहा आदि है तथा गीले कचरे में अधिकतर सड़ने वाला कचरा है। सूखे कचरे का प्रबंधन करने में प्लास्टिक सबसे बड़ी समस्या है। हालांकि  अधिकतर प्लास्टिक को दुबारा काम में लाया जाता है किन्तु इसे मुकाम तक ले जाना बहुत बड़ी समस्या है। इसी प्रकार गीले कचरे का प्रबंधन भी बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि इस से जैविक खाद बन जाती है तथा यह भी बायो गैस प्लांट में काम में लाया जा सकता है।

हम अपने घर के दोनों गीले और सूखे कचरों का  स्वयं प्रबंधन करते हैं। सूखे कचरे जिसमे कागज, प्लास्टिक आदि रहते हैं को हम अलग करके घर के लकड़ी के चूल्हे को जलाने के लिए काम लाते हैं।  गीले कचरे को हम सीधे जमीन पर जहाँ हम अपनी सब्जियां उगाते हैं वहां डाल देते हैं जो सड़  कर जैविक खाद में तब्दील हो जाता है।

घर की टॉयलेट , बाथ रूम और किचिन का पानी बायो गैस प्लांट से होकर गुजरता है जिसके कारण कोई भी गंदगी घर से बाहर नहीं जाती है।

हमारा यह मानना है की शहर के हर घर को  निकलने वाले कचरे का स्वम्  प्रबंधन खुद करना चाहिए। हर घर में कचरों को इकठा करने के लिए सूखे और गीले कचरे के  अलग २ बैग होने चाहिए।  गीले सड़ने वाले कचरों को गमलों में डाल देना चाहिए जब गमले भर जाते हैं उन्हें सूखी पुआल ,नरवाई ,पत्तियों आदि से ढांक कर उसके ऊपेर थोड़ी सी मिटटी डाल कर उसमे सब्जियां जैसे भटा  ,टमाटर आदि को लगाना चाहिए। जैसे जैसे पानी लगता है कचरा सड़ने लगता है जो नीचे तक बैठ जाता है खाली  जगह में पुन कचरे को डालते हुए इस प्रक्रिया को दोहरने से कचरा बढ़िया सब्जी पैदा करने की मिटटी में तब्दील हो जाता है।

सूखे कचरे को अलग अलग करके कबाड़े वालों को बेच देना चाहिए।  कबाड़े वाले कागज ,प्लास्टिक ,लोहा ,कांच सब खरीद लेते हैं। इस प्रकार कचरा पैसे देने का साधन बन जाता है। अन्यथा यह नगरपालिका के लिए मुसीबत बन जाता है।

जब कचरा लावारिश पड़ा रहता है वहां उसको खाने अनेक जानवर कुत्ते ,सूअर ,गाय आदि आ जाते हैं।  अनेक जानवर मर जाते है और बीमारियां फैलाते हैं।

बायो गैस प्लांट लगाना 

गीले कचरे को सीधे बायो गैस बनाने वाले सयंत्र  में डाल  कर हम  कचरे से उत्तम खाना पकाने वाली गैस बना सकते हैं यह काम सामूहिक करने से अधिक फायदेमंद रहता है। बायोगैस सयंत्र  से जैविक खाद और गैस का उत्पादन होता है। जिस से कचरा मुनाफे का साधन बन जाता है।



गीले कचरे से गैस और खाद बनाने का सयंत्र 
इस प्लांट में एक तरफ से गीले कचरे को पानी के साथ डाला जाता है जिसमे यह सड़  जाता है जो दुसरे तरफ से खाद बन कर निकल जाता है। इस सड़न  क्रिया से गैस बनती है है जो सीधे गैस के चूल्हे में जलती है। जिस से खाना पकाने से लेकर बिजली पैदा करने तक का काम किया जा सकता है।  हर मोहल्ले में हम इस प्रकार गैस प्लांट बना सकते हैं इसको बनाने में सरकार भी सहायता करती है। इस प्लांट से निकलने वाली खाद पूरी तरह  बॉस रहित रहती है जिसमे मक्खी और मच्छर नहीं पनपते हैं।

बायोगैस का चूल्हा 

बायो गैस की खाद 






2 comments:

राजेन्द्र सिंह said...

अत्यंत उपयोगी जानकरी।

Jayesh Ramjibhai Ladani said...

Can be used in cities provided local authorities have willpower.