जैविक खाद का पनपता गोरख धंधा !
यदि हम मिटटी के एक कण को सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखें तो हम पाएंगे की हमारी मिट्टी जैव -विवधता का समूह है। यह खुद अपने आप में सर्वोत्तम जैविक खाद है। जुताई करने से मिट्टी की जैविकता मर जाती है। इसलिए खाद की जरूरत महसूस होती है।
गेंहूँ और राइ की नरवाई के ढकाव से झांकते धान के नन्हे पौधे |
हम अपने खेतों में पिछले ३० सालो से बिना जुताई की जैविक खेती (ऋषि खेती ) कर रहे हैं। इन तीस सालो में हमने कभी भी जमीन की जुताई नहीं की है ना ही उसमे किसी भी प्रकार का कोई भी मानव निर्मित खाद बना कर या खरीद कर डाला है।
असल में जुताई करने से बरसात में बखरी बारीक मिट्टी कीचड में तब्दील हो जाती है जो बरसात के पानी को जमीन में नहीं जाने देती है पानी तेजी से बहता है अपने साथ मिटटी (जैविक खाद ) को बहा कर ले जाता है। जुताई नहीं करने से जैविक खाद का बहना रुक जाता है। हम अपने खेतों से निकलने वाले हर अवशेषों जैसे नरवाई ,पुआल ,गोबर /गोंजन ,पत्तियां ,टहनियां आदि को जहाँ का तहाँ वापस फैला देते हैं। जो सड़ कर उत्तम जैविक खाद में बदल जाता है।
जब से रासायनिक खेती के नुक्सान नजर आने लगे हैं तब से जैविक खेती का हल्ला बहुत सुनायी देने लगा है। अनेक प्रकार की जैविक खाद बनाने के तरीके बताये जा रहे है ,अनेक प्रकार के बायो खाद बाज़ार में बिकने लगे हैं। गोबर /गोमूत्र की भी बहुत चर्चा हो रही है। किन्तु ये सब डाक्टरी फिजूल है यदि हम अपने खेती की जैविक खाद को बहने से रोक लेते हैं।
एक बार की जुताई से खेत की आधी जैविक खाद बह जाती है जो करीब 5 टन से 15 टन प्रति एकड़ तक हो सकती है। इसे हम बेफ़कूफी ही कहेंगे की पहले हम अपनी खेत की कीमती कुदरती जैविक खाद को बहा दें फिर बाज़ार से महंगी जैविक खाद ख़रीद कर लाएं या कमर तोड़ महंत कर खाद को बनाये।
इसका यह मतलब नहीं है की फसलों के उत्पादन में जैविक खाद का कोई महत्व नहीं है हमारा यह कहना है अपनी जैविक खाद को हम आसानी से जुताई को बंद कर बचा सकते हैं तमाम अवशेषों को जहाँ तहाँ वापस लोटा देने से से हमे जैविक खाद की कोई जरूरत नहीं रहती है।
अधिकतर लोगों का कहना है की रसायनो के कारण खेतों की जैविकता नस्ट हो रही है किन्तु हमने यह पाया है कि जुताई से सबसे अधिक जैविकता का नुक्सान हो रहा है। इसलिए जुताई आधारित जैविक और रासायनिक खेती में कोई अंतर नहीं है। दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं।
आजकल अनेक किसान बिना जुताई की बोने की मशीन से बुआई करने लगे हैं वे बधाई के पात्र हैं किन्तु वे नरवाई और पुआल को खेतों में वापस नहीं लोटा रहे हैं इसलिए उन्हें खाद की जरूरत महसूस होती है यदि वे पिछली फसल की नरवाई को वापस खेतो में डालने लगे तो वे रसायन और खाद मुक्त हो सकते हैं।
1 comment:
जुताई से हए नुकसान की कुदरत कितने समय
मे क्षतिपूर्ति क़र पायेगी? तब तक कुछ तो करना
चाहिए ?
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