नागेन्द्र नर्मदा नेचरल फॉर्म कुर्सी थापा गॉंव पिपरिया होशंगाबाद म. प्र.
ऋषि ऋषि खेती (असिंचित )
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रामभरोस क्ले को बारीक़ कर रहे हैँ। |
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बारीक गीली क्ले से बीज़ गोलियॉं बन रही हैं। |
यह नेचरल फार्म चांदनी बहन के द्वारा बनाया जा रहा हैं जो कुलसी थापा नाम क़े गॉँव में स्थित है जहाँ अभी महानगरीय और शहरी प्रदूषण नहीं पहूँचा है। यह स्थान विश्व विख्यात पचमढ़ी के टाइगर रिज़र्व के पास है। जो पिपरिया से करीब 16 km की दूरी पर है।
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गीली क्ले को गुंथ क़र उसमेँ तुअर ,धान और सुबबूल के बीज ड़ाले जा रहे हैं। |
उनके परिवार में उनकी दो बेटियां हैं। जो दिल्ली में पढ़ रही हैं। चांदनी बहन का कहना है कि वे महानगरीय रहन सहन से ऊब चूँकि हैं इसलिए वे अब शाँती क़े साथ कुदरत के करीब कुदरती खेती करते अपना जीवन गुजारना चाहतीं हैं। उनकी इस इच्छा के साथ उनका परिवार भी साथ है। इसी आशय से उन्होंने यहाँ जमीन खरीद कर ये फार्म बनाया हैं।
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गोलियों को छाया में सुखाया जा रहा हैं। |
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खेत में फैन्स बनाने का काम हो रहा है। |
वे चाहती तो पंजाब या मिनि पँजाब कहलाने वाले तवा कमांड के छेत्र में जो विकसित छेत्र कहलाते हैं जमींन खरीद सकती थीं किन्तु वे जुताई ,रसायनों और सिंचाई के बिना खेती करना चाहती हैं उनका सोच जमीन क़ा शोषण ओर ह्मारे पर्यावरण को प्रदूषित कर धन कमाना नही है गैर कुदरती खे
ती के कारण बंजर हो गयी जमीन को बचाते हुए आजीविका का उदाहरण प्रस्तुत करना है जिससे पूरा गांव संपन्न हो जाये।
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इसमें जुताई ,खाद और दवाई की कोई जरुरत नहीं है |
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उत्तम देशी घर १ |
वो यह महसूस करती हैं की रह्ने क़े लिऐ गॉंव की मकान बनाने की परंपरागत शैली ही सही है। वे बिना बिजली के रहना पसंद करती हैं। इसलिए अभी अनेक दिनों से यहाँ रह रहीँ हैँ
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उन्होंने यह निर्णय जापान के जग प्रसिद्ध कुदरती खेती के किसान स्व मस्नोबू फुकुओका के अनुभवों की किताब "दी वन स्ट्रॉ रिवोलुशन " से लिया है।
उन्होंने टाइटस ऋषि खेती फॉर्म के आलावा अनेक बिना जुताई बिन रसायन की खेती के फार्म का अवलोकन किया है। उनके इस निर्णय के लिए हम उन्हें सलाम करते हैं और उनकी सफ़लता क़ी कामना करते हैं।
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चांदनी बहन के साथ |
16-10-2014
रामभरोसजी की पुत्री सीताफल के पेड़ के साथ
रामभरोसजी का घर
रामभरोसजी की माताजी और उनके पुत्र
चांदनी बहन के खेत उसमे पैदा हुई फसल की की कटाई स्थानीय खेतिहरों के द्वारा की जा रही है।
जब हम बिना जुताई करे क्ले में बीजों को बंद कर खेत में छिड़क देते हैं तो उग आते हैं। इस प्रकार इस खेत में काम किया गया था। जिसमे मूंग ,उड़द,ज्वार ,अरहर आदि के पौधे अच्छे आये हैं।बढ़ते जाता है
इसके साथ असंख्य वनस्पतियां जिन्हे बोया ही नहीं गया था वे पैदा हो गयीं है। जिनसे पूरा खेत हरियाली से भर गया है यह मात्र कुछ महीनो का कमाल है।
इस खेती को करने से शुरू में ही १० से १५ टन जैविक खाद/एकड़ को बहने से रोक दिया गया है। जिसकी की कीमत का कोई आंकलन नहीं करता है। इसके आलावा जो जैविक खाद इस कचरे से बनेगी उसकी कीमत का नहीं करता है। इसमें असंख्य जीव जंतु ,कीड़े मकोड़े ,केंचुए आदि उत्पन्न हो गए जो तेजी से जमीन को तंदरुस्त बना रहे हैं। जुताई नहीं करने से जमीन बरसात का पूरा पानी पी लेती है। जो साल भर कुदरती सिंचाई कर फसलों को बचाने का काम करता है। इस प्रकार हर साल जमीन के भीतर का जल स्तर बढ़ते जाता है।
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