पुआल नहीं जलाएं !
कैसे करें धान के पुआल से गेंहूँ की ऋषि खेती
धान के पुआल के ढकाव से झांकते गेहूं के नन्हे पौधे |
इस तरीके से गेंहूँ की पैदावार प्रति एकड़ २० क्विंटल तक आसानी से मिल जाती है बरसीम या राय की पैदावार अतिरिक्त रहती है और अजैविक गेंहूँ कुदरती गेंहूँ में तब्दील जाता है जिसके कारण गेंहूँ की कीमत ५ -६ हजार रु प्रति क्विंटल से ऊपर चली जाती है। जिसमे किसी भी पमाण पत्र की जरूरत नहीं रहती है ,केवल किसान को बोनी से लेकर गहाई तक के फोटो खींच कर रखने की जरूरत है।
ऋषि खेती के कुदरती गेंहूँ में कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने की ताकत रहती है। इसकी लकड़ी के चूल्हे में बनी रोटी बड़ी से बड़ी बीमारी को दूर कर देती है। रासायनिक खेती के गेंहूँ से आजकल कुपोषण ,रक्त की कमी ,
मधुमेह, रक्तचाप ,नवजात बच्चों की मौत के अनेक मामले आ रहे हैं। इसका मूल कारण जमीन की जुताई और कृषि रसायनो का उपयोग है।
पुआल के ढकाव से अनेक फायदे हैं जैसे खरपतवार नियंत्रण ,नमी का संरक्षण ,फसलों में बीमारी का नियंत्रण, मिट्टी को भुरभुरा बनाना और पुआल सड़कर अगली फसल के लिए पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करती है। इसलिए पुआल नहीं जलाएं !
अत्यंत उपयोगी व् ज्ञानवर्धक जानकारी, शुभकामनाये
ReplyDeleteमल्चिंग का मतलब है घास ,नरवाई ,पुआल आदि से ढंकना जिसे पलवार भी कहते हैं।
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