Friday, November 6, 2015

पुआल नहीं जलाएं !



पुआल नहीं जलाएं !

कैसे करें धान के पुआल से गेंहूँ की ऋषि खेती 

धान के पुआल के ढकाव से झांकते गेहूं के नन्हे पौधे 
न दिनों किसान अपने खेतों में धान की कटाई और गहाई  में व्यस्त हैं।  उन्हें धान के पुआल की चिंता रहती है इसके रहते  खेतों में जुताई नहीं कर पाते हैं उन्हें मजबूरी में उसे जलाना पड़ता है। दूसरा धान के खेतों की मिट्टी जुताई ,कीचड मचाने और  पानी भर कर रखने से बहुत सख्त हो जाती है जिसे आसानी से जोता नहीं जा सकता है। धान के ठूंठ भी किसान की नाक में दम  कर देते हैं।

ऐसी परिस्थिती में धान की ऋषि खेती बहुत फायदे मंद रहती है।  जिसमे जुताई ,खाद और दवाइयों की कोई जरूरत नहीं रहती है। किसान को केवल खेतों में गेंहूँ के बीजों के साथ बरसीम या राय के बीज  खेतों में फेंकने भर की जरूरत है। जिसमे प्रति एकड़ ४० किलो गेंहूँ के बीज के साथ  दो किलो बरसीम या राय छिड़कने की जरूरत है। बरसीम या राय दलहन जाती के बीज हैं जो उगने के बाद अपनी छाया की गोलाई में  लगातार नत्रजन (यूरिया ) सप्लाई करने का काम करते हैं। इन बीजों के ऊपर धान की पुआल को आडा  तिरछा  तिरछा इस प्रकार फैला दिया जाता है जिस से सूर्य की रौशनी बीजों तक आती रहे।  पानी सामान्य तरीके से जो भी  साधन उपलब्ध से दिया जाता है।

 इस तरीके से गेंहूँ की पैदावार प्रति एकड़ २० क्विंटल तक आसानी से मिल जाती है बरसीम या राय की पैदावार अतिरिक्त रहती है और अजैविक गेंहूँ कुदरती गेंहूँ में तब्दील जाता है जिसके कारण गेंहूँ की कीमत ५ -६ हजार रु प्रति क्विंटल से ऊपर चली जाती है। जिसमे किसी भी पमाण पत्र  की जरूरत नहीं रहती है ,केवल किसान को बोनी  से लेकर गहाई  तक के फोटो खींच कर रखने की जरूरत है।

ऋषि खेती के कुदरती गेंहूँ में कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने की ताकत रहती है। इसकी लकड़ी के चूल्हे में बनी रोटी बड़ी से बड़ी बीमारी को दूर कर देती  है। रासायनिक खेती के गेंहूँ से आजकल कुपोषण ,रक्त की कमी ,
मधुमेह, रक्तचाप ,नवजात बच्चों की मौत के अनेक मामले आ रहे हैं। इसका मूल कारण जमीन की जुताई और कृषि रसायनो का उपयोग है।  

पुआल के ढकाव से अनेक फायदे हैं जैसे खरपतवार नियंत्रण ,नमी का संरक्षण ,फसलों में बीमारी का नियंत्रण, मिट्टी को  भुरभुरा बनाना  और पुआल सड़कर अगली फसल के लिए पर्याप्त पोषक  तत्व प्रदान करती है।  इसलिए पुआल नहीं जलाएं !

2 comments:

  1. अत्यंत उपयोगी व् ज्ञानवर्धक जानकारी, शुभकामनाये

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  2. मल्चिंग का मतलब है घास ,नरवाई ,पुआल आदि से ढंकना जिसे पलवार भी कहते हैं।

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